साहित्य
उन्हें उड़ने दो खुले आसमान में बेरोक् टोक, मत बांधो सरहद सी दीवारों से…

उन्हें उड़ने दो
उन्हें उड़ने दो
खुले आसमान में बेरोक् टोक,
मत बांधो सरहद सी दीवारों से,
बे खौफ़ नापने दो सागर की गहराई को,
धरती से अंबर तक सब उनका ही तो है,
तुम बस उन्हें उड़ने दो
लिखने दो रोज नया इतिहास
खुद की कामयाबी का
बे खौफ गुजरने दो दुर्गम रास्तों से
धरती से अंबर तक सब उनका ही तो है,
तुम बस उन्हें उड़ने दो
वो बासी रोटी में जी लेती है
फटे चिथड़ों को भी सी लेती है
बिन शिकायत
परिवार और संसार
सब पूरा कर लेती है
तुम बस उन्हें उड़ने दो।
आधी धरती, आधा अंबर,
आधी नदियाँ, आधे जंगल
पर पूरा है उनका अधिकार
तुम बस उन्हें पढ़ने दो
आगे बढ़ने दो
बस उन्हें उड़ने दो।।
Dr. Naaz Parween