साहित्य
कभी टूटते है, कभी बिखरते है विपत्तियों में ही इंसान ज्यादा निखरते है…

कभी टूटते है,
कभी बिखरते है
विपत्तियों में ही इंसान
ज्यादा निखरते है।
जो अनसुना कर देते
जिंदगी में अवसर को
फिर ऐसे अवसर को
सदा ढूंढते है।
और
हसते रहे जब जब
मिला उनको मौका
गहराइयों में ही
मोती ढूंढते है
मुनासिब है अभी भी
गिरे हो तो उठो फिर
रुके ना जो पथ पर
वहीं जीतते है।।
राकेश दुलारा
मुजफ्फरनगर