अपना मुज़फ्फरनगर

‘लग गए वो हमें मनाने में, लुत्फ आता है रूठ जाने में! उड़ के आ जाऊं तुम बुलाओ तो..देर लगती है कितनी आने मे’

अम्बा विहार मे उर्दू घर पर एक शानदार मुशायरे का आयोजन किया गया

मुजफ्फरनगर
। उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन के बैनर तले बीती रात अंबा बिहार में उर्दू घर पर एक शानदार मुशायरे का आयोजन किया गया। मशहूर शायर मुजीब अहमद सिद्दीकी की करनेलगंज गोंडा से जनपद आगमन पर उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने उनके सम्मान में आयोजित किया। मुशायरे की अध्यक्षता मशहूर शायर डॉक्टर सदाकत देवबंदी और संचालन मारूफ अदीब कलीम त्यागी ने किया| इस दौरान मुख्य अतिथि मुजीब अहमद सिद्दीकी को उनकी खिदमत को देखते हुए शॉल और सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन के नए साल के कैलेंडर का भी विमोचन किया गया।
इस मौके पर मुजीब सिद्दीकी ने खुशी का इजहार किया व मुजफ्फरनगर का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने इस मौके पर कहा उर्दू विकास के लिए इस तरह की विशेष प्रोग्राम होते रहने चाहिए।उर्दू एक मीठी जुबा है।गंगा जमुना तहजीब की अलंबरदार है, जो हिंदुस्तान में ही नहीं पूरी दुनिया में पढ़ी और बोली जाती है। इस अवसर पर मुशायरा का आगाज़ मोहम्मद अहमद खान की नाते पाक से हुआ।

यहाँ डॉक्टर सदाकत देवबंदी कुछ इस अंदाज मे नज़र आए..
हुकूमतें जिन्हें कहते हैं यूं नही चलतीं।
पता है सब हमें जिस आब ओ ताब में तुम हो।
मुजीब सिद्दीकी गोंडा ने पढ़ा…
देखना हश्र में जब देखने वाले होंगे।
उनके कुछ और भी अंदाज निराले होंगे।
जाहिदों तुमको मुबारक हो अमल से जन्नत हम गुनहगार तो रहमत के हवाले होंगे।

डॉ.तनवीर गौहर ने कहा..
तकब्बुर जहन में लहजे में सू है
तुम्हें इज्जत की फिर भी आरजू है
हमारी हसरतों का चाक दामन
तेरी यादों के धागे से रफू है।

सलीम अहमद सलीम…
मजा तो जब है खता भी मेरी खता ना लगे मैं तुमको तुमसे चुरा लूं और पता ना लगे
मैं इसलिए नहीं लाता हूं आईना घर में
कि तुम जैसा हंसी कोई दूसरा ना लगे।

तहसीन कमर असारवी..
लग गए वो हमें मनाने में
लुत्फ आता है रूठ जाने में
उड़ के आ जाऊं तुम बुलाओ तो
देर लगती है कितनी आने में।

सलामत राही ने कहा…
सच पूछो तो बाजी जिंदगानी की मैं मार गया
बेटा मुझसे जीता है यह किसने कहा मैं हार गया!
अहमद मुजफ्फरनगरी –
आज के दौर के बच्चे भी सबक देने लगे
अब बुजुर्गों की नसीहत कोई सुनता ही नहीं
तेरी गुफ्तार तेरी नस्ल का देती है पता
ज़र्फ़ वाले को तकब़बुर कभी छुता ही नहीl

अल्ताफ मशल..
झूठे लोगों का तरफदार न समझा जाए
मुझको सच्चाई से बेजार न समझा जाए
जिसकी हर बात में होती है खुशामद की झलक
ऐसे इंसान को खुद्दार न समझा जाए|

इस अवसर पर कलीम त्यागी, असद फारुकी, मौलाना मूसा क़ासमी, मास्टर इम्तियाज अली, तहसीन अली असारवी, गुलफाम अहमद, डा० फर्रूख हसन, डॉक्टर सलीम अहमद सलमानी, शमीम कस्सार, नदीम मलिक, बदरूज़्ज़मा खां, शहज़ाद त्यागी, हाजी आसिफ राही, गौहर सिद्दीकी, इकराम कस्सार, अंजुम एडवोकेट, सद्दाम राणा, मास्टर इसरार, शावेज राव, अजहर फारुकी, डॉक्टर सादिक, महबूब आलम एडवोकेट, इशरत त्यागी, मोहम्मद साजिद त्यागी,, डॉक्टर शमीम उल हसन, क़ारी सलीम, साजिद खां, मास्टर खलील, मुख्य रूप से मौजूद रहे।

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