साहित्य
सजदे करती हजार, तुमको मेरी दुआएं मेरी सदाएं

(सोनिया सिंह)
सजदे करती हजार तुमको मेरी दुआएं मेरी सदाएं
खुशियाँ सारी निसार तुझपे हों मेरे हिस्से तेरी बलाएं
कई दिनो से गुजर रही है कुछ ऐसे मोड़ों से जिंदगानी
कि जैसे जागी हुई निगाहें कोई पुराना ख्वाब सजाएं
ये आज कैसा फिजा मे महका पुराना कोई लम्हा जैसे
तेरे पसीने से फिर से लहकीं मेरी मुंडेरों की हों हवाएं
ये चाँद का है कोई बहाना या कि तारों की कोई साजिश
नये सितम को संवर रही हैं चाँदनी की वही अदाएं
वही पुराने दर-ओ-दीवारे कुछ इस तरह से निखर रहे हैं
कि कोरे कागज पे जैसे कोई इंद्रधनुष के रंग सजाए