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कविता जोशी की फ़िल्म ‘आशा’ देहाती फिल्मों में बन रही मील का पत्थर


True स्टोरी
देश की देहाती हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री को अब आप हल्के में नही ले सकते। जिस तरह की फिल्में और गाने हरियाणवी देहाती फिल्म इंडस्ट्री दे रही है, उनसे बॉलीवुड भी हिला हुआ है।यहां के गाने सुपर हिट हो रहे हैं तो फिल्में भी रिकॉर्ड तोड़ रही है।जहां 12 गज का दामन, राजी बोल जा, फीलिंग फीलिंग, सबते हटके, नीली साड़ी जैसे गाने तमाम जगह सुने जा रहे हैं और वायरल है।वही धाकड़ छोरा फिल्म से प्रसिद्धि की ओर चली इस इंडस्ट्री में अब विकास की बहू, चौकीदार, फजीता, राजा, कलेश आदि सफल फिल्मों की सूची के बाद दिग्गज निर्देशक दिनेश चौधरी द्वारा निर्देशित तीन दिन पहले रिलीज हुई “आशा” फिल्म ने तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

जिस तरह बॉलीवुड में नरगिस द्वारा अभिनीत मदर इंडिया फिल्म महिला प्रधान फिल्मों में सर्वोच्च स्थान लिए हुए हैं। लगभग उसी तरह की हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री के लिए कविता जोशी द्वारा अभिनीत आशा फिल्म का स्थान बन जाए तो यह कहने में अतिश्योक्ति नही होगी।इस फिल्म पर आ रहे लोगों के कमेंट इस बात की तस्दीक कर रहे हैं पिता पुत्री के रिश्तो की पावनता, पिता के लिए पुत्री के प्रति जिम्मेदारी, पुत्री द्वारा पिता की इज्जत सर्वोपरि समझना, पारिवारिक मूल्यों को समर्पितयह फिल्म लोगों के जहन में बस चुकी है।

बिन मां बाप की बेटी आशा को का लालन पोषण तो एक परिवार करता है परंतु उस अनाथ लड़की आशा को बार-बार तानों से दो-चार होना पड़ता है। पिता इस दोस्त की बेटी को अपनी सगी बेटी से बढ़कर मान उसके साथ खड़ा तो रहता है परन्तु अपनी पत्नी, पुत्री के आगे मजबूर भी नज़र आता है।वहीं आशा पारिवारिक मूल्यों के प्रति समर्पित है वह अपने घर और अपने पिता की बातों को ही सर्वोच्च मानती है। उस घर में रहने वाला युवक करमू उसके साथ बदसलूकी करना चाहता है। नाकाम रहने पर आशा पर आरोप लगाता है।
उस घर की बड़ी लड़की शादी के समय में घर छोड़ कर भाग जाती है तब वह अपने पिता की इज्जत बचाने के लिए मंडप में बैठ जाती है।

कविता जोशी ने अपने किरदार में जान फूंक कर रख दी है उनकी अदायगी सर चढ़कर बोली है।
इस फिल्म से लोग इस कदर जुड़े हैं कि कई सीन में वह न केवल भावुक होते हैं कई बार तो रोने लगते हैं।
विकास बालियान ने इसमें पिता की भूमिका को इस तरह जिया है कि कमाल सा हो गया है। करमू की भूमिका में राजीव सिरोही पूरी तरह खरे उतरे हैं।
फिल्म में एंटरटेन भी है। राजेंद्र कश्यप नोरंग तथा जोली बाबा की जोड़ी ने कहीं भी लोगों को बोर नही किया बल्कि जमकर हंसाया है। सुरजीत सिंह सिरोही पंडित की भूमिका में खूब जमे हैं।
अमित सहोता इस फिल्म में हीरो है और उन्हें अपने किरदार से पूरा न्याय किया है। सारिका चौधरी सास बनी है वह भी अपने किरदार के साथ न्याय करने में सफल रही है।वही सिमरन तोमर ने इस फिल्म में बड़ी बहन का रोल किया है वह भी नेगेटिव रोल है परंतु वह अपने रोल को अच्छे से निभा गई है।
कुल मिलाकर यह महिला प्रधान फिल्म है जिसमें कविता जोशी ने खुद को साबित किया है। वह इस फिल्म में दुल्हन भी बनी है, नौकरानी भी बनी है, और एक पीड़ित शोषित लड़की भी बनी है। उन्होंने हर रूप में बेहतरीन अदायगी की है।
इस फिल्म के कई सीन दिल को छू जाते हैं। एक सीन में कविता जोशी अपने पिता विकास बालियान के आंसू पोंछते हुए कहती है के पापा आपसे तो झूठ बोलना भी नहीं आता आप तो रो रहे हैं वह सीन लोगों को झंझोड़ देता है।
वही जब आशा की शादी हो जाती है और उसके पिता उससे मिलने के लिए उसकी ससुराल आते हैं और जैसे ही उसे पता चलता है कि उसके पिता आए हैं वह दौड़ कर उनसे लिपट जाती है वह सीन भी ऐतिहासिक है।
इसी तरह अपने पिता को भेजते हुए जब हाथ हिलाती है और उसकी आंखों से आंसू आने लगते हैं तो वह सिन भी लोगों की आंखों में आंसू ले आता है। यह फिल्म बहुत मार्मिक है।
विकास बालियान के लिए यह एक ऐसी फिल्म है जो उन्हें पिता के रूप में पूरी तरह स्थापित कर रही है।
उषा देवी ममताई माँ की भूमिका में अब तक दर्शकों ने देखी है परंतु इस फिल्म में वह पराई बेटी पर अत्याचार करती नजर आती है परंतु अपने रोल में वह पूरी तरह समर्पित दिखाई दी है।

देहाती फिर इंडस्ट्री फिलहाल अपनी ऊंचाइयों को छू रही है और यहां बन रही फिल्मों की तरफ अब मुंबई की बॉलीवुड इंडस्ट्री भी देख रही है।
इस फिल्म का निर्देशन दिग्गज निर्देशक दिनेश चौधरी ने किया है जिन्होंने कालजई फिल्म धाकड़ छोरा बनाई थी।
राजलक्ष्मी बैनर द्वारा बनाई गई इस फिल्म को उत्तर कुमार ने प्रोड्यूस किया है, उन्होंने ही इसकी स्टोरी और स्क्रिप्ट भी लिखी है।
फिल्म में कविता जोशी, विकास बालियान, उषा देवी, राजीव सिरोही, सुरजीत सिरोही, अमित सहोता, राजेंद्र कश्यप नोरंग, जोली बाबा, मोनू धनकड़, सिमरन तोमर, सारिका चौधरी, मुकेश गोयल, अजय देवगन, विशाल बालियान, गुड्डू, नन्हे, तेजवीर, राजेश राजा, बिजेंदर आदि ने काम किया है।
म्यूजिक श्याम स्टूडियो का है। एडिटिंग हरीश चंद्र ने की है। कैमरामैन के रूप में हरीश चंद्रा और कन्हैया बघेल ने काम किया है। इस फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में सुमित वत्सऔर आकांक्षा चौधरी रही है। फिल्म के गीत प्रदीप पंचाल ने लिखे हैं। और उन्हें प्रदीप पांचाल, दुर्गा गुप्ता, वंदना जांगिड़ ने अपनी आवाज से सजाया है।
कुल मिलाकर यह फिल्म सुपर डुपर हिट फिल्म साबित हुई है जिसे अब तक 1 करोड दर्शक देख चुके हैं।
एक नए यूट्यूब कविता जोशी ऑफिशियल चैनल पर आई आशा फ़िल्म ने सफलता के नए झंडे गाड़ दिए है और फिल्म के लेखक प्रोड्यूसर्स उत्तर कुमार ने एक बार फिर साबित कर दिया है के वह हरियाणवी इंडस्ट्री के ऐसे आधार स्तंभ है जिनके मजबूत कंधों पर यह इंडस्ट्री मजबूती से टिकी हुई है।फूहड़ता, अश्लीलता रहीत आशा फिल्म हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री की ऐसी महिला प्रधान फिल्म बन गई है। जिसकी तुलना बॉलीवुड की प्रसिद्ध फिल्म मदर इंडिया से की जा सकती है।कविता जोशी एक तरफ से इस फिल्म में नरगिस जैसा किरदार निभाती नजर आई है।

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