जमीयत उलमा-ए-हिन्द ने दंगा विस्थापितों को दिए मकान, मौलाना मदनी ने चाबियां

मुजफ्फरनगर में जमीयत उलमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने 66 मकानों की चाबियाँ दंगा विस्थापितों को दी है। 2013 के दंगा पीड़ितों में उस वक़्त ख़ुशी देखने को मिली जब विस्थापितों को अध्यक्ष जमीयत उलमा-ए-हिन्द मौलना सय्यद अरशद मदनी ने मकानों की चाबियां उनके सुपुर्द की।
बुधवार को जमीयत उलमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने गाँव बागोंवाली में नवनिर्मित जमीयत कालोनी में 66 मकानों की चाबियां सन 2013 के दंगा विस्थापितों को सौंपी। इस दौरान मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने कहा की हमारे पूर्वजो ने इस देश की खातिर बड़ी क़ुर्बानियां दी है। जिसको इतिहास कभी भुला नहीं कर सकता हे उन्होंने कहा की आजादी के लिए उलमा-ए-इकराम ने 150 तक तो लगातार क़ुर्बानियां दी है। जिसकी मिसाल नही मिलती हे तथा अंग्रेजो ने उलमा-ए-इकराम को फांसी पर भी चढ़ाये। मौलाना मदनी ने कहा की दारुल उलूम देवबंद की स्थापना भी अंग्रेजो के ख़िलाफ़ स्वतंत्रता के सपूत पैदा करने के लिये की गयी थी। मौलाना अरशद मदनी ने कहा की जमीयत उलमा-ए-हिन्द का धर्मनिरपेक्ष संविधान को बनवाने में विशेष योगदान रहा।
मौलाना मदनी ने कहा की हम तो डटकर साम्प्रदायिकता का विरोध करते हे और साम्प्रदायिकता को देश के लिए नुकसानदेह समझते है।उन्होंने कहा की आज भी हमारे देश में नफरत की आवाज मुँह उठ रही है । जोकि देश की खुशहाली व उन्नति के खतरा बन गया है।उन्होंने कहा की पूरे देश में दंगो की एक लिस्ट लंबी है, जिसमे हजारो बेगुनाहों की जान चली गयी है। मौलाना मदनी ने अब तक पचासों हज़ार से अधिक सांप्रदायिक दंगे देश में हो चुके हैं, असम के नीली से लेकर मुंबई के 1993 और गुजरात के 2002 के भयानक दंगों तक अत्याचार की न जाने कितनी कहानियां बिखरी पड़ी हैं, इन दंगों में मुसलमानों के जो जान-माल का नुक़्सान हुआ उसका अनुमान लगाया जाना भी संभव नहीं है, दुखद पहलू यह है कि दंगे की किसी एक घटना में भी क़ानून और न्याय की आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया गया और किसी दोषी को सज़ा नहीं दी गई। यही कारण है कि समय बीतने के साथ साथ सांप्रदायिक शक्तियों का मनोबल भी बढ़ता गया । मुज़फ्फरनगर के हवाले से मौलाना मदनी ने कहा की यहाँ कभी कोई दंगा नही हुआ लेकिन सन 2013 के दंगे से यहाँ भी हजारो लोग बेघर हो गये। जिन्होंने अपने घरो को खौफ से छोड़ दिया था। जमीयत उलमा हिन्द ने मुज़फ्फरनगर दंगा पीडितो को जिले भर में बसाने के उनको 466 मकानात देकर मदद की। उन्होंने कहा की जमीयत उलमा तो बगैर भेदभाव से लोगो की मदद करती रही हे मौलाना मदनी ने कहा कि महाराष्ट्र में बाढ़ प्रभवित क्षेत्रों में जमीयत उलमा-ए-हिन्द के प्रतिनिधि और कार्यकर्ता सहायता और राहत पहुंचाने के काम में व्यस्त हैं। कोंकण के कुछ क्षेत्रों में हज़ारों की संख्या में लोग बेघर हुए हैं, हमने उनके पुनर्वास की भी रूपरेखा तैयार कर ली है और इसके लिए दो करोड़ रुपये का फण्ड भी निर्धारित किया जा चुका है। उन्होंने अंत में कहा कि देश में प्राकृतिक आपदाओं की रूप में जब भी कोई मुसीबत आती है।जमीअत उलमा-ए-हिन्द देश की जनता के साथ खड़ी नज़र आती है। वैसे तो यह एक धार्मिक संगठन है। लेकिन सहायता और राहत पहुंचाने का हर काम वह धर्म से ऊपर उठकर मानवता के आधार पर करती है। एकता एवं सहिष्णुता इसका मिशन है और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा इसका हमेशा से पहला उद्देश्य रहा है। प्रोग्राम का संचालन मौलाना मुस्तुफा कासमी ने किया इस मौके पर मौलाना हामिद हसन, पूर्व सभासद असद जमा एडवोकेट,मौलाना नज़र मुहम्मद,मौलाना कासिम, मौलाना मुकर्रम अली कासमी,हाफिज शेरदीन, मौ.आसिफ कुरैशी आदि मौजूद थे। यहाँ मौलाना मदनी ने मीडिया के साथ कई बिन्दुओ पर खुलकर बात की।