सशक्त बनकर दिहाड़ी मजदूर की बेटी ने लिखी नई इबारत

–मंजू देवी ने 150 से अधिक महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर, ई-कॉमर्स उद्यमी बनने की दिशा में बढ़ रही आगे
बुलंदशहर। सदियों पुरानी कहावत है कि एक बुद्धिमान व्यक्ति अपने आपको परिस्थितियों के अनुसार ढाल लेता है, ठीक उसी तरह जैसे पानी उसी बर्तन का आकार ले लेता है, जिसमें इसे डाला जाए। बुलंदशहर की मंजू देवी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढाल लिया। आर्थिक परेशानी हो, पारिवारिक समस्याएं या स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे। उन्होंने हर मुश्किल का सामना बहादुरी के साथ किया। जीवन में असंख्य मुश्किलों के बावजूद, उन्होंने उद्यमी बनने का सपना बरक़रार रखा। आज वे अपने जीवन के 40वें दशक में अपने इस सपने को साकार कर चुकी हैं।
मंजू देवी एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी हैं। परिवार में आर्थिक तंगी के कारण उन्हें 12वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी। इसके बाद उन्होंने सिलाई में सर्टिफाइड स्किल कोर्स किया। फिर कुछ साल बाद उनकी शादी हो गई। वे दिल्ली जाकर अपने पति के साथ रहने लगीं। दिल्ली में वे एक किराए के घर में रहती थीं, जहां तकरीबन एक दशक तक उन्होंने सिलाई का काम किया। सिलाई करके वे अपने परिवार की आर्थिक मदद कर पातीं। इस दौरान उनके अच्छे ग्राहक भी बन गए थे। साथ ही उन्होंने समुदाय की युवतियों और महिलाओं को सिलाई एवं टेलरिंग सिखाने का फैसला लिया ताकि, वे समाज की अन्य महिलाओं को भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद कर सकें। फिर वे बुलंदशहर में अपने गांव ढकोली लौट आईं, जहां उन्होंने महिलाओं को कौशल प्रदान करना जारी रखा। गांव में ही अपने घर में ‘स्टिचिंग और टेलरिंग ट्रेनिंग क्लासेज़ के कई बैच लेतीं और नियमित रूप से स्थानीय महिलाओं को सिलाई का काम सिखातीं। अब तक वे अपने गांव में और आस-पास के क्षेत्रों में 150 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण दे चुकी हैं। इनमें से कई लड़कियां अपना खुद का काम शुरू कर सफल हो गई हैं।
कई महिलाओं के लिए रोल मॉडल हैं अंजू
निश्चित रूप से मंजू अपने क्षेत्र की कई महिलाओं के लिए रोल मॉडल हैं, अपना काम शुरू करने से पहले भी उन्हें आस-पास के क्षेत्रों से सिलाई और टेलरिंग के ऑर्डर मिलते थे। हालांकि वह इतना पैसा नहीं कमा पातीं थीं कि अपनी ज़रूरतों को पूरा कर सकें। उनके पति का काम भी बहुत अच्छा नहीं था, ऐसे में उनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। तभी हर एण्ड नाउ मंजू के जीवन में वरदान बन कर आया, जिसके बाद आर्थिक रूप से सुरक्षित भविष्य का उनका सपना साकार हो गया।
हर एण्ड नाउ एंटरेप्रेन्युरशिप सपोर्ट का हिस्सा थी मंजू
उल्लेखनीय है कि 2021 में मंजू देवी भारत की महत्वाकांक्षी एवं मौजूदा महिला उद्यमियों को समर्थन देने वाले प्रोजेक्ट- हर एण्ड नाउ एंटरेप्रेन्युरशिप सपोर्ट प्रोग्राम के उत्तर प्रदेश कोहोर्ट का हिस्सा थीं, जिसने उन्हें अपने कारोबार को व्यवस्थित तरीके से विकसित करने में सक्षम बनाया। प्रोजेक्ट- हर एण्ड नाउ- एम्पावरिंग वुमेन एंटरेप्रेन्युर्स’का संचालन जर्मन फेडरल मिनिस्ट्री फॉर इकोनोमिक को-ऑपरेशन एण्ड डेवलपमेन्ट की ओर से तथा भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ साझेदारी में किया जाता है। बुलंदशहर एवं उत्तर प्रदेश के अन्य ज़िलों में हर एण्ड नाउ प्रोजेक्ट का संचालन एम्पावर फाउन्डेशन के साथ साझेदारी में किया जा रहा है।