साहित्य

“दीपक”

दीपावली पर एक कविता

दिल को दिलों से मिलाते चलिये !
वैरभाव को दूर भगाते चलिये !!
दीप से दीपक जलाते चलिये !
अज्ञान का अंधेरा मिटाते चलिये !!
जीवन की गलत राह पर भटके न मन!
कर्म का दीपक जलाए रखिए !!
घोर संकट के जब बादल छाये !
धैर्य का दीपक जलाए रखिए !!
सारे जग में फैल रही हैं हिंसा !
अहिंसा का दीपक जलाते चलिए !!
जब शक का पर्दा आँखों पे पड़ जाए !
विश्वास का दीपक जलाए रखिए !!
निराशा की वादियों में बैठे हो अगर !
आशा का दीपक जलाए रखिए !!
हर सुबह नई किरण के साथ
खुशी का दीपक जलाए रखिए !!

सरिता जैन
मुरैना

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