द गुरुकुलम में अदभुत तरीके से मनाया गया प्रकाश उत्सव

विद्यालय से बच्चे गुरुद्वारा साहिब गए, गुरु नानक देव के मानवता को दिए हुए उपदेशों को सीखा
मेरठ। अलग तरह से त्योहारों को मनाने के लिए प्रसिद्ध द गुरुकुलम इंटरनेशनल स्कूल ने श्री गुरु नानक देव का प्रकाश उत्सव एक अनोखे और अद्भुत तरीके से मनाया। सर्वप्रथम विद्यालय से बच्चे गुरुद्वारा साहिब गए और वहां पर दर्शन के उपरांत गुरु नानक देव के मानवता को दिए हुए उपदेशों को सीखा।
बच्चों ने सीखा नाम जपो, कि कैसे दैनिक कार्य करते हुए भी परमात्मा का स्मरण किया जा सकता है। किरत करो, कि कैसे जीवन में कोई भी कार्य करते हुए बेईमानी नहीं करनी और इमानदारी से कमाई करते हुए जीवन यापन करना है। तदुपरांत गुरुद्वारा साहिब में प्रसाद ग्रहण करने के बाद बच्चे अपने शिक्षकों के साथ तेजगढ़ी स्थित गरीब जरूरतमंदों के साथ गुरु नानक देव के तीसरे उपदेश वंड छको की अनुपालन करने के लिए पहुंचे। वहां सभी विद्यार्थियों ने गरीब और जरूरतमंद बच्चों को अपने स्वयं के कपड़े, खिलौने व सर्दियों के लिए गर्म कपड़े भी दिये। सभी बच्चे अपने साथ लाए उपहारों को गरीब और जरूरतमंद बच्चों के साथ साझा करते हुए अति उत्साहित रहे। इस कार्यक्रम में विद्यालय के डायरेक्टर प्रिंसिपल कवल जीत सिंह, वर्तिका सेठी, सरिता सिंह, सुषमा चौधरी, नेहा आर्य, श्वेता चौधरी, सुजाता, वर्षा, अंजलि, उर्मी एवं तान्या का सहयोग रहा।
अभिभावक बोले, ये है सही शिक्षा का प्रारूप
अभिभावकों ने जब अपने बच्चों को जरूरतमंदों की मदद करते हुए देखा तो बोले यह है सही शिक्षा। कहा कि जहां अन्य विद्यालय त्योहारों के नाम पर केवल छुट्टी कर देते हैं वहीं द गुरुकुलम हर भारतीय त्यौहार न केवल अच्छे से बच्चों के साथ मनाता है बल्कि, बच्चों को उस त्योहार से संबंधित सभी जानकारियां भी देता है। कैसे महापुरुषों का चरित्र जीवन में उतारना है, इस बात को द गुरुकुलम भली भांति विद्यार्थियों को वास्तविक जीवन में सीखा रहा है।
लोग बोले: नहीं देखा किसी को ऐसा करते हुए।
आते जाते जिन भी लोगों ने विद्यालय के विद्यार्थियों को जरूरतमंद बच्चों के साथ अपने उपहार साझा करते हुए देखा, वह बोले और किसी विद्यालय की तरफ से बच्चों में इस तरह के संस्कार वास्तविक जीवन में डालते हुए नहीं देखा।
विद्यालय वापस आकर विद्यार्थियों को मिला उनका रिटर्न गिफ्ट
जरूरतमंद बच्चों की मदद करने के बाद वापस आने पर विद्यालय में उनके लिए सह भोज की व्यवस्था की गई, जिसमें बच्चों ने केक काटा और उसके बाद अनेकों प्रकार के व्यंजनों का स्वाद लिया, जिसके लिए विद्यालय की तरफ से बच्चों को पहले ही निर्देशित किया गया था।