इंसान ही है मोदी जी भी…

कमल मित्तल
किसान चिंतक
भारत के कुछ लोग जो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर हर महादेव की जगह हर हर मोदी का संबोधन कर धरातल से देवलोक में ले जाने का असफल प्रयोग करते रहे थे या कर रहे हैं।अब उन्हें ज्ञात हुआ होगा कि नरेंद्र मोदी कोई देवदूत नहीं बल्कि एक इंसान ही हैं और और कहावत है कि इंसान गलतियों का पुतला है। यह बात आज के परिपेक्ष में कहना इसलिए जरूरी है कि पिछले सात साल में नरेंद्र मोदी ने अनेकों ऐसे निर्णय लिए जिनके लिए उनकी पार्टी के भी अधिकांश लोग उनसे सहमत नहीं रहे होंगे, लेकिन राजनीतिक मजबूरी के चलते वे नरेंद्र मोदी का विरोध भी नहीं कर पाए होंगे। एकमात्र राज्यपाल सत्यपाल मलिक उन्होंने जरूर प्रधानमंत्री के निर्णयों पर अनेक अवसरों पर विरोध जताया और कहा कि इस बार लड़ाई किसान से है और किसानों के लिए लिया गया गलत निर्णय हमारी सरकार को ले डूबेगा ।
बिहार में दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी के प्यार मे एक पहाड़ को छेनी थोड़े से चीर कर सड़क बनाने का कारनामा किया था, जिसे भारत ही नहीं दुनिया में सराहा गया था।
किसान नेता राकेश टिकैत कि अगवाई में संयुक्त किसान मोर्चा ने एक ऐसा असंभव कार्य किया है जिसके लिए उन्हें इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घमंड को चकनाचूर करते हुए उन्हें सत्य के रास्ते पर चलने के लिए मजबूर किया और उन्हें
तीन कृषि कानून जिन्हें किसान पिछले एक वर्ष से काले कृषि कानून कहते रहे हैं उन्हें वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी।
लगता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार में किसी भी निर्णय को लेने के लिए अकेले सक्षम है। चाहे मामला नोटबंदी का हो या जीएसटी का या सरकारी विभागों के निजी करण का, संभवत ये सब निर्णय नरेंद्र मोदी जी ने स्वयं ही लिए हैं और इनका दुष्प्रभाव देश की गरीब जनता झेल रही है।
जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की तो उसमें भी उनका अहंकार झलक रहा था। उन्होंने कहा कि हम कुछ किसानों को इन लाभकारी कृषि कानूनों के बारे में समझा नहीं पाए ।क्या देश के प्रधानमंत्री ने कुछ किसानों के लिए ही इन कृषि कानूनों को वापस ले लिया,क्या यह संभव है?