राजनीति

मीरापुर सीट:हाशिये पर मुस्लिम सियासत, जरूरत या मजबूरी

उपेक्षा की आहट से मीराँपुर विधानसभा के मुस्लिम वोटर्स में बढ़ रही बेचैनी

 

(काज़ी अमजद अली)

मुज़फ्फरनगर जनपद की मीराँपुर विधानसभा में वोटर्स की संख्या 3 लाख 25 हजार लभगभ बताई जाती है, जिसमें मुस्लिम लगभग एक लाख तीस हजार के बीच बताये जाते हैं। विधानसभा में मुस्लिमों मतों की भारी संख्या राजनीतिक दलों में उनकी अहमियत को बढ़ाती है। अनेक राजनीतिक दलों ने कई बार मुस्लिम प्रत्याशी पर दाँव लगाकर जीत भी दर्ज कराई है। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी को मिले थोक वोट ने वर्तमान में टिकट की चाह में लगे मुस्लिम लीडर्स की उम्मीदों को बढ़ाया है किन्तु मुस्लिमों के चहेते सेक्युलर राजनीतिक दलों के बदले मिजाज की आहट मुस्लिम लीडर्स के साथ साथ वोटर्स की बेचैनी में इजाफा कर रही है।
मुज़फ्फरनगर की मीराँपुर विधानसभा पर वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा के पैराशूट प्रत्याशी अवतार भड़ाना ने बेहद मामूली अन्तर से सपा के हाजी लियाकत को हराया था। हाजी लियाकत को रिकॉर्ड 69800 मत प्राप्त हुए थे। हार के बावजूद सपा के खेमे में उनको जीता हुआ माना गया था, जिसके चलते गत वर्षों में सपा के सभी छोटे बड़े मंच पर उन्हें सम्मान मिलता रहा है। मीराँपुर विधानसभा में अगर मुस्लिम प्रत्याशी की बात की जाये तो 2012 में बसपा के मौलाना जमील अहमद कासमी निर्वाचित हुए थे। पिछले पाँच दशकों में अगर मीराँपुर अथवा मोरना विधानसभा से मुस्लिम विधायकों पर नजर डाली जाये तो 1980 में जनता पार्टी से मेंहदी असगर मटरू मियां, 1985 में कांग्रेस पार्टी से सैयद सईदुज्जमा, 1989 में जनता दल से अमीर आलम खान, 2007 में रालोद से कादिर राना जीत दर्ज कर चुके हैं। मीराँपुर विधानसभा पर मुस्लिम मतों की बड़ी संख्या का होना जनपद के बड़े मुस्लिम सियासतदानों को अपनी ओर आकर्षित करता है, जिनमें कादिर राणा, नूर सलीम राना, शाहनवाज राना, सलमान सईद, वसी अन्सारी, अब्दुल्ला आरिफ,नसीम मियां के अलावा सपा से मजबूत दावा पेश करने वालों में क्षेत्र के भोपा निवासी हाजी लियाकत कुरैशी के साथ साथ क्षेत्र के ही तेवड़ा निवासी महराजुद्दीन भी शामिल है। मेरठ में नर्सिंग होम चलाने वाले  रालोद नेता डॉ. हाशिम रजा जैदी सहित अन्य को राजीनीतिक दलों से बड़ी आशाएं हैं, जो स्वभाविक भी है। किन्तु मुस्लिम प्लस का समीकरण बसपा व रालोद के पास ही दिखाई देता है। जहां रालोद की प्रत्याशी मिथलेश पाल को 2017 के चुनाव में 22751, बसपा प्रत्याशी नवाजिश आलम को 39689 व सपा के हाजी लियाकत को 68842 मत प्राप्त हुए थे। मामूली अंतर से  हारने के बावजूद मुस्लिम मतों में भारी उत्साह बना हुआ है। भारी संख्या बल होने के चलते मुस्लिम प्रत्याशी को नजरअंदाज करना किसी भी सैक्यूलर पार्टी के लिए भारी पड सकता है। राजनीतिक दलों के जानकार किसी भी प्रकार के समीकरण तय करें किन्तु मुस्लिम प्रत्याशी को नजरअंदाज करना उनके लिए आसान नजर नहीं आता। वहीं बदले राजनीतिक परिपेक्ष्य में मुस्लिम प्लस की राजनीति की चर्चाएं जारी हैं, जिनमें जाट अथवा गुर्जर प्रत्याशी पर दांव की चर्चाएं हैं। जहां जाट बिरादरी के वोट 35 से 40 हजार के बीच बताए जाते हैं तो वहीं गुर्जर मात्र 10 से 12 हजार के मध्य बताए जाते हैं। वहीं पाल व सैनी समाज के मतों की संख्या भी कम नहीं है। पाल समाज लगभग 18000 व सैनी लगभग 14000 बताए जाते हैं। प्लस की राजनीति किस करवट बैठेगी ये तो आने वाला समय ही बताएगा किन्तु मुस्लिम प्रत्याशी को नजरअंदाज करना किसी भी सैक्यूलर दल के लिए आसान नहीं होगा। सपा के पूर्व प्रत्याशी हाजी लियाकत कुरैशी के समर्थकों में भारी उत्साह देखा जा सकता है। सपा व रालोद गठबंधन का प्रत्याशी कौन होगा। इसको लेकर कयास लगाए जा रहे है।

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