राजनीति

भाजपा के नहीं, आजम के करीबी हैं वसीम रिजवी: बासित अली

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने वसीम रिजवी को बताया मतलबी

विशेष बातचीत में बोले: 2022 में फिर से प्रदेश में आएगी भाजपा सरकार
मेरठ।
इस्लाम धर्म त्यागकर हिंदू धर्म अपनाने वाले वसीम रिजवी की मुश्किलें अभी भी कम होने का नाम नहीं ले रही है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने वसीम रिजवी को सपा नेता आजम खां का करीबी बता दिया। कहा कि भ्रष्टाचार के दर्जनभर से अधिक मुकदमें वसीम रिजवी पर दर्ज है, योगी सरकार ने ही वक्फ संपत्तियों पर हुए अवैध कब्जों की जांच सीबीसीआईडी के हवाले की है। 2022 चुनाव को लेकर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मुस्लिम भारी संख्या में भाजपा से जुड़ रहा है। इस बार 300 से अधिक सीटें भाजपा जीतेंगी।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली शुक्रवार को मेरठ में थे। इस दौरान उनसे विशेष बातचीत हुई। प्रदेश अध्यक्ष ने वसीम रिजवी को सपा नेता आजम खा का करीबी बताते हुए कहा कि साल 2004 में जब यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी तब मौलाना कल्बे जव्वाद की सिफारिश पर वसीम रिजवी को चेयरमैन बनाया गया था। साल 2007 में मायावती की सरकार बनने पर वसीम रिजवी ने सपा छोड़ दी और बसपा का दामन थाम लिया। 2009 में शिया बोर्ड का गठन हुआ तो मौलाना कल्बे जव्वाद की सहमति से उनके बहनोई जमालुद्दीन अकबर चेयरमैन बने। इस बोर्ड में वसीम रिजवी सदस्य चुने गए। यहीं से वसीम रिजवी और मौलाना कल्बे जव्वाद के बीच सियासी वर्चस्व की जंग छिड़ गई। साल 2010 में भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर जमालुद्दीन ने इस्तीफा दे दिया, इसके बाद वसीम रिजवी एक बार फिर से शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष पर काबिज हो गए। 2012 में सत्ता परिवर्तन हुआ। सपा सरकार ने 2 महीने बाद 28 मई को वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया।
आजम से नजदीकी के चलते बने रहे चेयरमैन
आजम खान से करीबी नाते के चलते वसीम 2014 में वक्फ बोर्ड के चेयरमैन बन गए। जिसका मौलाना कल्बे जव्वाद ने विरोध किया। आजम खान के सियासी प्रभाव के चलते वसीम रिजवी वक्फ बोर्ड अध्यक्ष बने रहे। साल 2017 में सत्ता परिवर्तन हुआ और प्रदेश में भाजपा की सरकार आ गई। वसीम रिजवी ने सपा छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। वसीम रिजवी ने शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन के तौर पर अपना कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा कर लिया, लेकिन दोबारा से वापसी नहीं हो सकी, हालांकि शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य वे अभी भी है।
वसीम पर वक्फ संपत्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप
कुंवर बासित अली ने बताया कि वसीम रिजवी पर वक्फ संपत्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गई है। योगी सरकार ने ही वक्फ संपत्तियों पर हुए अवैध कब्जों की जांच सीबीसीआईडी के हवाले की है। सूबे के पांच जिलों में वसीम के खिलाफ दर्जनभर से अधिक मुकदमें दर्ज हैं। इन सबसे बचने के लिए ही वसीम इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म में गए है, हालांकि इससे उनकी मुश्किलें कम नहीं होंगी।
सभी धर्मों के लोग पार्टी से जुड़ रहे
भाजपा जाति, धर्म से ऊपर उठकर सबको साथ लेकर चलती है। यही कारण है कि आज पार्टी के साथ सभी धर्मों के लोग जुड़ रहे हैं। विपक्ष जहां मुस्लिमों पर अपना फोकस कर रहा है, वहीं भाजपा सबका साथ-सबका विकास पर ध्यान दे रही हैं। 2022 में फिर से प्रदेश में भाजपा आएगी। सरकार बनेगी और भाजपा 300 से अधिक सीटें लेकर जीत दर्ज करेंगी।

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