मॉकड्रिल कर परखीं ओमिक्रॉन से निपटने की तैयारी

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की देखरेख में हुई मॉकड्रिल
मेरठ। कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन को लेकर जिले का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह चौकन्ना है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों को परखने के लिए शुक्रवार को जिले के चार चिकित्सालयों में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की देखरेख में मेडिकल कालेज, जिला अस्पताल, सुभारती मेडिकल कालेज व सीएचसी सरधना में मॉकड्रिल का आयोजन किया गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीएमओ डा. अखिलेश मोहन, मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डा. अशोक तालियान शुक्रवार को सुबह जिला अस्पताल पहुंचे, जहां मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सीएमएस डा. हीरा सिंह के निर्देशन में मॉकड्रिल करायी गयी। मॉकड्रिल में इस बात का अभ्यास किया गया कि कोरोना के समय अस्पताल में आये मरीजों को किस प्रकार भर्ती करना है। किस प्रकार मरीजों को वेटिलेटर पर सुरक्षित ले जाना है। किस तरह उनका उपचार करना है। सभी कार्य अस्पताल के चिकित्सकों व कर्मचारियों ने करके दिखाए। वहां मौजूद सीएमओ ने व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए कुछ जरूरी निर्देश दिये। इस दौरान उन्होंने कोविड वार्ड एवेंटीलेटर, आपरेशन थियेटर,पीडियाट्रिक यूनिट, बेड का निरीक्षण किया।
मेडिकल कालेज में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एसएमओ डा. प्रिया बंसल ने मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता के निर्देशन में मेडिकल कालेज में हुई मॉकड्रिल को देखा। इस दौरान उन्होंने देखा कि अगर कोई ओमिक्रॉन का मरीज आता है तो उसे कैसे भर्ती कराना है। उसका उपचार किस प्रकार से करना है। उपचार के दौरान स्वयं को कैसे सुरक्षित रखना है। आक्सीजन, प्लस, समेत बीपी की जांच ,वेटिलेटर सपोर्ट से लेकर उपचार करने तक 5 मिनट 30 सेकेंड का समय लगा। डा. प्रिया बंसल मॉक ड्रिल से संतुष्ट नजर आयीं। सुभारती मेडिकल कालेज में डा. एसके अग्रवाल ने मॉकड्रिल के दौरान की गयी तैयारियों को परखा। इस दौरान सभी व्यवस्था दुरुस्त मिलीं। इस मौैके पर कोविड नोडल अधिकारी डा. धीरज राज, बाल रोग विभागाध्यक्ष डा. विजय जयसवाल, बच्चों के कोविड अस्पताल के नोडल प्रभारी डा. नवरत्न गुप्ता, डा. तुंगवीर सिंह आर्य शामिल रहें।
ओमिक्रॉन से निपटने की तैयारी दुरुस्त करना मकसद
सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया मॉकड्रिल का मकसद ओमिक्रॉन से निपटने की तैयारी दुरुस्त करना था। उन्होंने बताया विभाग की ओर से पूरी तैयारी कर ली गयी है। कहीं पर भी आॅक्सीजन, बेड की कमी नहीं है। जिले में उपचार के लिये पांच हजार बेड तैयार किये गये हैं। वेंटीलेटर पूरी तरह तैयार हैं। जिले में सभी आॅक्सीजन प्लांट क्रियाशील हो गये हैं।




