कू पर यूजर्स ने कहा, उम्मीद है अब मुजफ्फरनगर जैसे दंगे नहीं होंगे !

मेरठ। मुजफ्फरनगर दंगे किसे याद नहीं हैं। सात सितंबर 2013 में हुई सांप्रदायिक हिंसा को हुए आठ साल का लंबा अरसा बीत चुका है। सरकारों ने कई कदम भी उठाए, लेकिन अब प्रदेश में चुनाव आने के दौर में ये मामला फिर से उठाया जा रहा है। हालांकि वहां के नागरिकों का कुछ अलग ही मानना है। दरअसल, हाल ही में मुजफ्फरनगर पुलिस ने ‘फाइव आईआरई’ के साथ एक स्मार्ट पुलिसिंग तकनीक सहयोग में प्रवेश किया है। कू पर यूजर्स कह रहे हैं, कि अब ऐसे दंगे नहीं होंगे।
‘फाइव आईआरई’ ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित एक कम्प्यूटिंग नेटवर्क है और क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने इसकी पहल की। माना जा रहा है कि इस बदलाव के बाद पुलिस सिस्टम को और अधिक पारदर्शी बनाया जा सकेगा। लेकिन सोशल मीडिया पर जहां लोग अपने-अपने विचार अनोखे रूप में साझा करते हैं, वहां इस ‘फाइव आईआरई’ की खबर आने के बाद सबने कू ऐप पर मुजफ्फरनगर दंगों की तस्वीरे साझा करते हुए उम्मीद जताई, इसके आने के बाद पहले जैसा दंगा नहीं होगा।
कू पर यूजर साझा कर रहे तस्वीर
रोहन खंडेलवाल नामक यूजर ने कू पर तस्वीर साझा करते हुए लिखा, मुजफ्फरनगर पुलिस और ‘फाइव आईआरई’ एक स्मार्ट और मजबूत पुलिसिंग सिस्टम के लिए समाधान बनाने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का लाभ उठाने के लिए मिलकर काम करेंगे। ये जवाबदेही, पारदर्शिता, नागरिक पहुंच और कानून के साथ बातचीत को बढ़ाता है। ये वाकई में एक अच्छी तकनीक है, जिससे हिंसा में रोक लगाई जा सकती है। गौरतलब है कि 2013 में मुजफ्फरनगर जिले में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच हुए संघर्ष में बहुत लोग मारे गए थे।
कू पर महिलाओं ने भी विचार व्यक्त किए
ध्रुव पुरोहित लिखते हैं कि मुजफ्फरनगर पुलिस के द्वारा अपनाया गया एक सराहनीय कदम है। उम्मीद है ब्लॉकचेन तकनीक ऐसे दंगे रोकने में कारगर साबित होगी। वहीं, कुछ महिलाओं ने भी अपने विचार कू पर साझा किए और पूर्व में हुए दंगों की तस्वीर के साथ रोशनी ने लिखा, जानकर खुशी हुई कि अब मुजफ्फरनगर पुलिस और ‘फाइव आईआरई’ साथ में काम करेंगे, शांति और सुरक्षा कायम रखने के लिए बहुत ही अच्छी पहल।