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नगर विकास अनुभाग के अपर मुख्य सचिव रजनीश दूबे की कार्यशैली पर खड़े हुए सवाल, कैसी दे दी चैयरपर्सन को क्लीन चिट

मुजफ्फरनगर।धारा 48-2(ख) के तहत भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं में दोषी  नगरपालिका चेयर पर्सन अंजू अग्रवाल के विरुद्ध बर्खास्तगी की कार्रवाई न कर मात्र उन्हें रिकवरी का नोटिस जारी करने वाले प्रदेश के नगर विकास अनुभाग के अपर मुख्य सचिव रजनीश दूबे एक बार फिर कठघरे में है। उनके खिलाफ दायर हुई पुन: याचिका में कानून के विपरीत जाकर चेयरपर्सन को अभयदान देने का आरोप लगा है।

दरअसल जन विकास सोसायटी के अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा कि धारा-48-2(ख) के तहत आरोप सिद्ध होने पर बर्खास्तगी का प्रावधान है, लेकिन चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल को आरोप सिद्ध होने के बाद भी रिकवरी का नोटिस देकर छोड़ दिया गया, जो न्याय संगत नहीं है। उन्होंने इस प्रकरण में 23 दिसम्बर 2021 को पुर्न याचिका दायर की है। जिस पर सुनवाई होनी है। इससे पूर्व भी न्यायालय ने छ: माह के भीतर पालिका अध्यक्ष अंजू अग्रवाल के विरूद्ध कार्यवाही के आदेश दिये थे। जिसके बाद शासन ने एक माह का समय मांगा था। जनविकास सोसायटी ने कोर्ट के आदेशों की अवहेलना में कन्टैम्प ऑफ कोर्ट की याचिका दायर की तो शासन ने पालिका अध्यक्ष से रिकवरी के आदेश जारी कर दिये जबकि उन्हें धारा-48-2(ख) का दोषी भी माना । जबकि कानून के जानकारों का मानना है कि धारा-48-2(ख) के अन्तर्गत बर्खास्त किये जाने का प्रावधान है।
।। इन मामलों की थी शिकायत।।
पालिका अध्यक्ष अंजू अग्रवाल पर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 59 व 66 के विपरीत जाकर नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर आरएस राठी को वित्तीय अधिकार देने के आरोप लगाते हुए वित्तीय वर्ष 2018-19 में ऑटो  का ठेका न छोडने पर होने वाली राजस्व क्षति की शिकायत की गई थी। इसके अलावा सिकमी किरायेदारों के संबंधित शिकायत सहित कई बिन्दुओं पर मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया था। 18 जनवरी 2021 को जन विकास सोसायटी के अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने विगत 18-जनवरी 2019 को पूरे मामले से अवगत कराते हुए मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग की थी, जिसके बाद जिला स्तर से जाँच करायी गयी तो निर्वतमान जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने इन सभी आरोपो में दोषी मानते हुए अपनी जॉच रिपोर्ट विगत 14 अगस्त 2019 को शासन को भेजी थी। जिस समय जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई उस समय पालिकाध्यक्ष काग्रेस में थी और उन पर कार्रवाई होना तय माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली तो यह जांच रिपोर्ट फाइलों में दबकर रह गई। शासन से कोई कार्यवाही न होने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर शासन ने पालिकाध्यक्ष को धारा-48-2(ख) मे दोषी तो माना परन्तु पालिकाध्यक्ष को अभयदान देते हुए 1,95,223/- की रिकवरी का नोटिस जारी कर दिया। जिसे चुनौती देते हुए धारा-48-2(ख) के तहत पालिकाध्यक्ष के विरूद्ध कार्यवाही की गुहार लगायी है।
सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना में भी दायर किया वाद
विगत 9 अक्टूबर 2020 को पालिका बोर्ड बैठक में प्रस्ताव सं0 349, 350, 351, 352, 353 व 354 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर प्रस्ताव को एजेन्डे में शामिल कराने वाले तत्कालीन अधिशासी अधिकारी विनय मणी त्रिपाठी व चेयरपरर्सन अन्जू अग्रवाल के खिलाफ वाद दायर किया गया है। जिसमें उन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना आरोप लगाते हुए साक्ष्य प्रस्तुत किये है। विनय मणि त्रिपाठी इस वक्त इटावा नगर पालिका में तैनात हैं। वही प्रस्ताव सं 349 में 07 अक्टूबर-2020 को बोर्ड द्वारा 50 दुकानों के निर्माण कराये जाने के प्रस्ताव पारित करा कर 81,29,000 के बजट पर भी सवाल उठाए गए हैं। आरोप है कि वर्तमान ईओ हेमराज सिंह व अन्जू अग्रवाल द्वारा एजेन्डे में शामिल करते हुऐ 6-जुलाई 2021 को प्रस्ताव सं 413 उपरोक्त 50 दुकानों के निर्माण के लिए 81,29,000 का बजट नियम विरुद्ध स्वीकृत कराया गया। इस मामले में जनविकास के अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने तीनों को 3 जनवरी 2021 को कानूनी नोटिस देकर सुप्रीम कोर्ट में कन्टैप्ट ऑफ कोर्ट की याचिका दायर की है।

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