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यूएस क्रैनबेरीज ने क्रैनबेरीज के फायदों पर दी नई जानकारी

नोएडा। एच. पाइलोरी (हेलिकोबैक्टर पाइलोरी) बैक्टीरिया के संक्रमण की रोकथाम और आंत को स्वास्थ्य, मजबूत करने में क्रैनबेरी (करौंदा) के रस के फायदों पर जागरूकता पैदा करने और महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने के उद्देश्य से यूएस क्रैनबेरी मार्केटिंग कमेटी के भारत कार्यालय ने भारत के सात शहरों में अग्रणी आंत विशेषज्ञों, जठरांत्र रोग विशेषज्ञों (गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट्स) और आंत:स्रावी ग्रंथि विशेषज्ञों (एंडोक्राइनोलॉजिस्ट्स) के साथ श्रृंखलाबद्ध गहरी परख एवं संवादात्मक सत्रों का आयोजन किया।
इन सत्रों को डॉ. जिग्नेणश गाँधी (सीनियर कंसल्टेंशट, सामान्य एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जरी विभाग, फोर्टिस हॉस्पिटल्स, मुंबई), डॉ. एमी बी. होवेल (पीएचडी सहायक अनुसंधान वैज्ञानिक मरुक्की सेंटर फॉर ब्लूबेरी क्रैनबेरी रिसर्च रुटगर्स यूनिवर्सिटी, यूएसए, जो वर्चुअल विधि से सत्र में शामिल थे) और सुमित सरन, यूएस क्रैनबेरी मार्केटिंग कमेटी-भारत प्रतिनिधि ने संबोधित किया। सत्र का संचालन सातों शहर में से प्रत्येक में एक वरिष्ठ स्थानीय डॉक्टर ने किया। एच. पाइलोरी बैक्टीरिया के संक्रमण की रोकथाम में क्रैनबेरीज की भूमिका के मुख्य निष्कर्षों की चर्चा करते हुए डॉ. जिग्ने श गाँधी ने कहा कि एच. पाइलोरी बैक्टीरिया का संक्रमण भारत के स्वास्थ्य और इसकी मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए एक भयावह खतरा है। इस बैक्टीरियम के कारण गट डिसबायोसिस (आँतों में हितकर जीवाणुओं का संतुलन खराब होना) हो जाता है, जिससे अमाशय की सुरक्षा परत बाधित होती है और अनेक प्रकार की चिकित्सीय समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। इन बैक्टीरिया के संक्रमण से एसिडिटी की बहुवर्षीय समस्या हो सकती है और नियमित रूप से चौकसी नहीं बरती जाए तो आगे चलकर यह आमाशय/आँत के कैंसर जैसी समस्या का रूप ले सकती है। भारत की लगभग 60% आबादी एच. पाइलोरी बैक्टीरिया से प्रभावित है और उनमें से करीब 3% को सक्रिय अल्सर (फोड़ा) हो सकता है। साथ ही इनमें से कुछ को सर्जरी की जरुरत हो सकती है और थोड़े लोगों को आमाशय में कैंसर होने का आजीवन खतरा हो सकता है। हमारे पास लगभग 50,000 मरीज है जो एच. पाइलोरी के लिए मानक देखभाल के रूप में 2 सप्ताहों की अवधि के लिए ट्रिपल ड्रग मेडिकल थेरेपी (त्रिऔषधीय चिकित्सा) प्राप्त कर रहे हैं। हमारे देश में सामाजिक-आर्थिक स्थिति और मरीजों द्वारा अनुपालन में लापरवाही के कारण हमें इस संक्रमण का उन्मूलन करने के पहले काफी कुछ करना बाकी है।

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