साहित्य की अनमोल धरोहर साबित होगी ‘साहित्य की अनमोल धरोहर साबित होगी ‘कैलंडर पर लटकी तारीखें’
दिव्या शर्मा का यह लघुकथा संग्रह जिसमें 87 लघुकथाएँ संकलित हैं, साहित्य की अनमोल धरोहर साबित होगी। ‘अभिनिषेध’ लघुकथा विद्रोही स्त्रीमन की विवेचना करता है। तो ‘हिस्सेदारी’ परिस्थितियों के समायोजन की सीख।
‘सिलौटा’ लघुकथा तो अति लोमहर्षक दृश्य विधान प्रस्तुत करती है जब माँ पर हुए अत्याचार का साक्षी पुत्र सिलौटे को पटक माँ के दुखों का अंतिम संस्कार करता है। ‘रसूलन बी’ स्त्री मन का मनोविज्ञान प्रस्तुत करती लघुकथा है। बांझ स्त्री की पीड़ा है ‘कैलेण्डर पर लटकी तारीखें’, अति मर्मस्पर्शी।
दिव्या ने ऐसे अनछुए प्रसंगों को लघुकथा के ताने-बाने में बुना जो कुछ पल को चिंतन की ओर ले जाने से नहीं चूकती।
क्षेत्रीय बोली का भी प्रयोग कई लघुकथाओं में करके उसे और लालित्या पूर्ण बनाया है। भाषा पर अच्छी पकड़ के साथ ही बिम्ब योजना व शिल्प भी सराहनीय है।
दिव्या का यह लघुकथा संग्रह आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगा।
दिव्या शर्मा का बहुप्रतीक्षित लघु कथा संग्रह “कैलंडर पर लटकी तारीखें” अब प्री ऑर्डर के लिए साहित्य विमर्श प्रकाशन की वेबसाईट एवं अमेज़न उपलब्ध है।
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