स्त्री तू स्त्री क्यों न हुई…

दिल्ली के शाहदरा में पहले तो एक महिला से गैंगरेप हुआ। फिर आरोपियों की महिला रिश्तेदारों ने पीड़ित के बाल काटकर, जूतों की माला पहना पूरे इलाके में मुंह काला करके घुमाया। दिल्ली महिला आयोग ने इसका संज्ञान लेते हुए पुलिस को नोटिस भेजा है।
इस घटना का सबसे दुखद पहलू यह है कि इस निंदनीय घटना को अंजाम देने वालों में महिलाओं की भूमिका अग्रणीय रही।
समाज में महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा हो यौन हिंसा अपराधियों के साथ कहीं न कहीं ,किसी न किसी रुप में महिलाओं की संलिप्तता न केवल दुखद है बल्कि निंदनीय भी है।
हमारे समाज में स्त्री को पहले ही दोयम दर्जे का समझा जाता है और उसके प्रति क्रूर रवैया अपनाते हुए अक्सर दुश्मनी की आड़ में अपराधों को अंजाम दिया जाता है।दिल्ली के शाहदरा में कथित दुष्कर्म मामले में पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। पीड़िता से मारपीट मामले में अब तक सात महिलाओं की गिरफ्तारी के साथ ही दोनाबालिगों को पकड़ा है।
खबर के मुताबिक आपसी रंजिश की वजह से शाहदरा इलाके में कुछ लोगों ने एक महिला के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया। पुलिस के मुताबिक पीड़िता को हर संभव मदद दी जा रही है। पुलिस के मुताबिक पीड़िता की किडनैपिंग के बाद उसके साथ मारपीट भी की गई थी। बता दें कि इससे पहले पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था।बता दें कि दिल्ली के शाहदरा इलाके में बुधवार को एक महिला के साथ कथित दुष्कर्म की घटना सामने आई थी।
इस घटना को सुनकर सबसे पहले जो बात जेहन में आई वह यही थी कि आखिर क्यों कोई महिला,महिला होकर किसी अन्य महिला के साथ इतनी घिनौनी घटना को अंजाम दे सकती है!नफरत का यह कौन सा स्तर है जिसमें यह एक महिला के जीवन व सम्मान को ही दांव पर लगाने से बाज नहीं आई।
वजह साफ है।हमारे समाज में यही धारणा है कि किसी भी स्त्री का सम्मान उसके योनिद्वार में ही स्थापित है इसलिए उसे ही नष्ट कर दो।यह सोच और विचारों की विकृति ही स्त्री पर बलात कर उसे नीचा दिखाने की चेष्टा करती है।
इस पूरी घटना की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है लेकिन सवाल किनसे पूछे?
उन स्त्रियों से जो खुद बदला लेने के नाम पर दूसरी स्त्री के मन को उसकी मर्यादा और उसकी आत्मा को छिन्न भिन्न कर गई या फिर इस समाज की उस सोच से जिसके अनुसार, स्त्री को अपनी इच्छा के अनुसार चलने का अधिकार ही नहीं।
जो हुआ वह समाज पर एक कलंक है जिसे मिटाने के लिए सख्त कानून व्यवस्था और दण्ड होना जरूरी है।पर एक सवाल मैं उन महिलाओं से भी पूछती हूँ,
“हे स्त्री!तू स्त्री क्यों न हुई?”
दिव्या शर्मा
गुडगांव, हरियाणा।
sharmawriterdivya@gmail.com