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सीएए हिंसा में वसूली नोटिस होंगे वापिस, 25 लाख की होनी थी रिकवरी

सीएए हिंसा में वसूली नोटिस होंगे वापिस
-पुलिस द्वारा आरोपी बनाये गए लोगो को मिली सुप्रीम राहत
-पुलिस प्रशासन ने उपद्रव के दौरान 23.51 लाख की संपत्ति का बताया था नुकसान
मुजफ्फरनगर। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से सीएए के विरोध के दौरान शहर में तोड़फोड़ और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के 100 आरोपियों को वसूली से छूट मिल सकती है। 20 दिसंबर 2019 को शहर में हुए सीएए विरोधी उपद्रव के दौरान 23.51 लाख रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में 20 दिसंबर 2019 को शहर में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। विरोध प्रदर्शन उग्र हो गया था, इसके बाद थाना शहर कोतवाली और थाना सिविल लाइन क्षेत्र के कई इलाकों में जमकर तोड़फोड़ और हिंसा हुई थी। इस दौरान सरकारी और गैर सरकारी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। शहर कोतवाली और थाना सिविल लाइन पुलिस ने 40 से अधिक मुकदमे दर्ज कर 100 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया था। दोनों थानों में 100 से अधिक लोगों को नामजद और पांच हजार के करीब अज्ञात पर मुकदमा दर्ज हुआ था। अब सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश शासन को इस तरह के नोटिस वापस लेने का आदेश दिया है। थाना सिविल लाइन व शहर कोतवाली क्षेत्र में उपद्रव के दौरान हुए सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए शासन के आदेश पर वसूली की कार्रवाई शुरू की गई थी। इसके लिए तत्कालीन एडीएम प्रशासन अमिति सिंह को नामित प्राधिकारी नियुक्त किया गया था। एडीएम प्रशासन कोर्ट से सीसीटीवी फुटेज तथा पुलिस रिपोर्ट के आधार पर 100 से अधि क लोगों को वसूली के नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। अधिकतर लोगों ने कोर्ट पहुंचकर अपने आपको निर्दोष बताया था, जिसके बाद एडीएम कोर्ट ने थाना सिविल लाइन प्रभारी निरीक्षक को जांच कर आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे। जांच आख्या के मुताबिक थाना सिविल लाइन क्षेत्र के 53 व शहर कोतवाली क्षेत्र के करीब 48 लोगों को तोड़फोड़ तथा आगजनी कर 23.51 लाख रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी ठहराया गया था । जिसके बाद कोर्ट से सभी आरोपियों को नुकसान की भरपाई करने के लिए नोटिस जारी किये गए थे। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने के मामले में आरापी ठहराए गए 53 लोगों को इससे मुक्ति पाने की आस बंधी है। इस मामले में आरोपी असजद का कहना है कि हिंसा वाले दिन वह घर से बाहर भी नहीं निकला था न जाने कैसे उसे इस मामले में लपेट दिया गया। नोटिस जारी होने के बाद वह कोर्ट गया था। जहां उसे सीसीटीवी फुटेज से लिया गया एक फोटो दिखाया गया था। फोटो को उसका बताया जा रहा था, लेकिन वह उसका नहीं था। असजद ने बताया कि बावजूद उसका नाम सूची से नहीं निकाला गया। बताया कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस वापस लेने का आदेश दिया है तो उन्हें काफी राहत मिलेगी।