धर्म

थम चुकी है आरती- भजन व अजान की आवाज़…

चार साल के बाद धार्मिक स्थलों के लाउडस्पीकर को लेकर सबसे बड़ी कार्यवाही

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश में बुल्डोजर की दहशत के बाद अब लाउडस्पीकर पर आफत आन पड़ी है। सीएम योगी के बयान और दिल्ली के जहांगीरपुरी मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्टे ऑर्डर आने के बाद बुल्डोजर की गर्जना तो कम हुई, लेकिन इसके साथ ही धार्मिक स्थलों पर सुबह शाम बजने वाले भजन और आरती, गुरबाणी और अजान का शोर भी थम सा गया है। चार साल पहले धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के प्रयोग को लेकर प्रशासनिक अनुमति का आदेश जारी होने के बाद बड़ी हलचल मची थी और अब अनुमति की बात कहीं नहीं की जा रही है, केवल लाउडस्पीकर को हटाने पर पुलिस प्रशासन का जोर है। हालांकि अफसर मानक के अनुसार लाउडस्पीकर को धार्मिक स्थलों पर लगे रहने की बात कह रहे हैं, जबकि लाउडस्पीकर पर की जा रही सख्ती के कारण अब न तो मंदिरों से गूंजने वाले वो भजन ही लोगों को सुनाई दे रहे हैं और न ही पांच वक्त की अजान मस्जिदों की ओर लोगों को बुलाने देने के लिए दूर आकाश को चीरती दिखाई देती है। धार्मिक स्थलों पर यह पाबंदी लोगों के बीच धार्मिक स्वतंत्रता और कानून के बजाये भाजपा और योगी सरकार की नीतियों को लेकर ज्यादा चर्चित हो रही है। सरकार के आदेश पर जनपद में भी बड़े पैमाने पर धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर का गला घोंटने का काम तेजी से किया जा रहा है। शहर से लेकर गांव देहात तक धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर को उतरवाने की कार्यवाही पुलिस कर्मियों के द्वारा की जा रही है। पुलिस प्रशासन दिन रात इसमें जुटा है, क्योंकि सरकार ने 30 अप्रैल तक रिपोर्ट जो तलब कर ली है। यूपी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सरकार के बुल्डोजर की दहशत को तो थामने का काम कर दिखाया है, लेकिन सुप्रीम अदालत के ऐसे ही एक आदेश पर अब यूपी में नई सनसनी है। नई बहस और नई राजनीति को लेकर हलचल मची है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हवाले पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी का एक आदेश जिलों में अफसरों के पास पहुंचा नहीं कि धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर पर शिकंजा शुरू हो गया। उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर सुबह और शाम प्रदेश के हर जिले में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतारे जाने की कार्यवाही लगातार जारी है। इसके साथ ही नियमों के मुताबिक लाउडस्पीकर चलाने की अपील अफसरों द्वारा की जा रही है। सरकार की तरफ से बताया गया है कि अब तक कुल 12 जोन और कमिश्नरेट में धार्मिक स्थानों पर लगे 6031 लाउड स्पीकरों को हटा दिया गया है। वहीं, 29674 र्मिक स्थलों पर लगे स्पीकरों की आवाज को तय मानक के अनुरूप किया गया है। इनमें मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे सभी शामिल हैं, लेकिन सरकार की इस कार्यवाही को लेकर एक समुदाय विशेष में ज्यादा चिंता तथा रोष और चर्चा का दौर बना नजर आता है। दरअसल देशभर में लाउडस्पीकर को लेकर खड़े हुए विवाद के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सख्ती के निर्देश दिए हैं। सरकार की तरफ से हर थाने को निर्देशित किया गया है कि मंदिर हो या फिर मस्जिद जहां भी अवैध रूप से लाउडस्पीकर लगाए गए हैं उन्हें तुरंत उतरवा जाए। साथ ही तय मानक के अनुरूप ही लाउडस्पीकर का प्रयोग धार्मिक स्थलों पर हो। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने शासनदेश जारी करते हुए सभी थानों से कहा है कि अभियान चलाकर अवैध और तेज आवाज में बजने वाले लोउद्स्पीकर को तुरंत हटाया जाए। साथ ही 30 अप्रैल तक कार्रवाई की रिपोर्ट शासन को भेजी जाए। ऐसा न करने पर संबंधित थाना इंचार्ज के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी । निर्देश दिया है कि धर्मगुरुओं से संवाद कर अवैध लाउडस्पीकर को हटवाया जाए। साथ ही जो वैध हैं उनकी आवाज के निर्धारित मानक का अनुपालन सुनिश्चित की जाए। आज इस मामले को लेकर काफी हलचल है। जनपद में तीन चार दिनों से चल रही कार्यवाही के दौरान दर्जनों धार्मिक स्थलों पर लगे अवैध लाउडस्पीकर को उतरवाया गया है और सैंकड़ों स्थलों पर आवाज को मानक के अनुसार कराने का काम किया गया है। भाजपा की सरकार में ही यह दूसरा मौका है, जबकि लाउडस्पीकर का लेकर एक नई हलचल है। इससे पहले करीब चार साल पूर्व जनवरी 2018 में हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए योगी सरकार ने सभी धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर को ध्वनि प्रदूषण विनियमन एवं नियंत्रण नियम 2020 के प्रावधानों के अनुसार प्रशासनिक अनुमति आवश्यक कर दी गयी थी। इसके लिए 15 जनवरी तक का समय दिया गया था। इसके बाद 20जनवरी से अवैध लाउडस्पीकर हटाने की कार्यवाही की चेतावनी दी गयी थी। कमोबेश उस समय लगभग सभी धार्मिक स्थलों ने प्रशासन के समक्ष आवेदन कर लाउडस्पीकर की अनुमति प्राप्त कर ली थी। सरकार ने जिलों से रिपोर्ट मंगाकर हाईकोर्ट में दाखिल की और बात आई गई हो गयी थी, लेकिन यूपी में चुनाव के बाद भाजपा फिर सत्ता में आई तो बुल्डोजर के बाद लाउडस्पीकर का मुद्दा काफी लाउड होता गया। अब आलम यह है कि चार साल पहले जहां बात लाउडस्पीकर की अनुमति की थी, अब उनको उतारे जाने की कार्यवाही तक जा पहुंची है। धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर उतारे जाने के बाद अब न तो मंदिरों से आरती की गूंज सुनाई दे पा रही है और गुरूद्वारों से गुरबाणी का सुर लाउड है तो न ही मस्जिदों से अजान का शोर बस्ती को इबादत के लिए जगाने का काम कर रहा है। ऐसे में सभी समुदाय के लोगों और धर्मगुरूओं ने इस आदेश का विरोध करने के बजाये सामाजिक धर्म निभाते हुए सहयोग की ओर कदम बढ़ाया है। जहां लाउडस्पीकर मानक के अनुसार लगे हैं, उनको प्रशासन भी छूट दे रहा है जो नियमो के दायरे से बाहर हैं तो वहां स्वयं मंदिर के पुजारी और मस्जिदों के इंतजामिया उतारने का काम कर रहे हैं। अभी तक जनपद में दर्जनों धार्मिक स्थलों के लाउडस्पीकर उतारकर बंद करा दिये गये हैं।
35 साल पहले बना था लाउडस्पीकर पर सख्त नियम
मुजफ्फरनगर। आज लाउडस्पीकर पर पाबंदी को लेकर हंगामा है और राजनीति भी खूब हो रही है, लेकिन यह कोई नया नियम नहीं है। हाईकोर्ट के जिस ऑर्डर पर सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश को कायम रखा है, वह अखिलेश यादव की सरकार में आया था। उस दौरान सभी जिलों को दिशा निर्देश जारी कर दिये गये थे। सरकार के आदेश द्य पर मार्च 2015 में सभी जिलों में धार्मिक स्थलों के साथ ही सभी स्थानों पर लाउडस्पीकर बजाने वालों के खिलाफ मुहिम चलाई गयी और इसके लिए नियम तय करते हुए एक हेल्पलाइन भी जारी की गयी थी। इसके बाद योगी सरकार में हाईकोर्ट ने उस आदेश के अनुपालन और क्रियान्वयन पर 2018 में सरकार से जवाब तलब किया था। जबकि आज से करीब 35 साल पहले लाउडस्पीकर को लेकर नियम बना दिया गया था। सूत्रों के अनुसार लाउडस्पीकर बजाने को लेकर 1987 में भी उत्तर प्रदेश नगर महापालिका की ओर से विस्तृत दिशानिर्देश यप्रोबेशन आफ वायस एंड रेगुलेशन आफ लाउडस्पीकर) जारी किए जा चुका है। इन नियम में लाउडस्पीकर बजाने वाले, लाइसेंस अधिकारी, लाउडस्पीकर के प्रकार, धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर का बजाना जैसे कई तरह के बातें दी गई हैं। इस नियम के लागू होने के बावजूद 1987 से 2017 तक एक भी धार्मिक स्थलों ने लाउडस्पीकर बजाने की अनुमाति नहीं मांगी। 2017 में भाजपा सरकार यूपी में आने के बाद हाईकोर्ट ने एक रिट याचिका की सुनवाई पर जब इस पर संज्ञान लिया तो सरकार को जागना पड़ा और जनवरी 2018 में इसके लिए बड़ा अभियान चला । प्रशासन द्वारा हर जिले में लाडस्पीकर के लिए अनुमति दी गयी । इसके लिए मुख्य सचिव यूपी के द्वारा 10 मार्च 2018 और 4 जनवरी 2018 को विस्तृत शासनादेश जारी करते हुए नियमों का पालन सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया। अब अपर मुख्य सचिव गृह के आदेश पर फिर से लाउडस्पीकर पर कार्यवाही हो रही है । ऐसे धर्मस्थलों की सूची तैयार की जाए, जहां नियमों की अनदेखी की जा रही है।
शहर में 184 धार्मिक स्थलों ने ली थी लाउडस्पीकर की अनुमति
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका क्षेत्र में 184 धार्मिक स्थलों ने लाउडस्पीकर लगाने के लिए निर्धारित प्रारूप पर नियम व शर्त पूरी करते हुए प्रशासन से अनुमति ली थी। इनमें 139 मस्जिदों, 39 मंदिरों और 6 गुरुद्वारों पर लाउडस्पीकर लगाए जाने के आवेदन किए गए। इसके लिए नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय की ओर से आवेदन के बाद अनुमति प्रदान की गयी थी। शासन द्वारा कोर्ट के आदेश पर धार्मिक स्थलों पर बिना अनुमति लगाए गए लाउडस्पीकर हटाए जाने के मामले में 15 जनवरी 12018 तक लाउडस्पीकर लगाए जाने के आवेदन देने के लिए कहा गया था। इसके बाद से ही लगातार धार्मिकस्थलों के प्रबंधक व संचालक लाउडस्पीकर लगाने का के आवेदन निर्धारित प्रोफार्मा पर करने के लिए एसडीएम और नगर मजिस्ट्रेट के कार्यालय पहुंचे थे। 15 जनवरी की समय सीमा समाप्त होने के कारण उस दिन काफी भीड़ नगर मजिस्ट्रेट और तहसीलों में एसडीएम कार्यालय में दिखाई दी थी। नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय से उस दौरान 184 धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर लगाए जाने की अनुमति दी गई थी। इसी बीच देहात क्षेत्र के लिए जब लोग एसडीएम सदर कार्यालय पहुंचे थे तो वहां पर कुछ मस्जिदों के लिए उर्दू में फार्म भरे होने के कारण उनको अस्वीकार कर दिया गया था, इसको लेकर भारी हंगामा हुआ और डीएम के निर्देश पर ऐसे फार्म के लिए वहां पर उर्दू अनुवादक लगाये गये थे।

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