Shri Sammed Shikharji: श्री सम्मेद शिखर तीर्थ स्थल ही रहेगा, मोदी सरकार ने टूरिस्ट पैलेस का फैसला वापस लिया

झारखंड। पारसनाथ स्थित जैन तीर्थस्थल सम्मेद शिखर पर पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगा दी गई है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन साल पहले जारी अपना आदेश वापस ले लिया। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी नोटिफिकेशन में सभी पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार ने एक निगरानी समिति भी बनाई है। यह समिति इको सेंसिटिव जोन की निगरानी करेगी। केंद्र ने राज्य को निर्देश दिया है कि इस समिति में जैन समुदाय के दो और स्थानीय जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को स्थायी रूप से शामिल किया जाए। अब फैसला झारखंड सरकार के पाले में केंद्र सरकार की तरफ से इको सेंसिटिव संबंधित नोटिफिकेशन निरस्त कर देने के बाद अब ये पूरा मामला राज्य सरकार के पाले में आ गया है। इसकी वजह यह है कि केंद्र सरकार के इको सेंसिटिव जोन घोषित करने के नोटिफिकेशन के बाद ही राज्य सरकार ने 2019 में पहले सम्मेद शिखर को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बनाया था। राज्य सरकार ने 2021 में सम्मेद शिखर को धार्मिक पर्यटन स्थल बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। अब यहीं पेंच फंस गया है। इसके लिए राज्य सरकार को अब सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र से बाहर करने के लिए अधिसूचना में संशोधन करना होगा या फिर उसे रद्द करना होगा। तभी सम्मेद शिखर 2019 से पहले की स्थिति में आ सकेगा।
क्या कहा मंत्री ने…
मध्य प्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री ओ. पी. सकलेचा ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पहले ही इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की थी. उन्होंने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर अब श्री सम्मेद शिखर तीर्थ स्थल ही रहेगा… उसमें कोई बदलाव नहीं होगा. उन्होंने बताया कि तीर्थ क्षेत्र में कोई निर्माण कार्य नहीं होगा और स्थल की पवित्रता बनाए रखने के लिए वहां होटल, ट्रैकिंग और नॉन वेज पर भी रोक रहेगी।
मंत्री ओ. पी. सकलेचा ने कहा कि सम्मेद शिखर सिर्फ जैन समाज के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए पवित्र स्थान है. उन्होंने बताया, ‘तय हुआ है कि एक बोर्ड का गठन किया जाएगा, जिसमें दो लोग जैन समाज, स्थानीय प्रतिनिधि और सरकार के प्रतिनिधि होंगे. जो भी निर्णय करना होगा बोर्ड करेगा.’ उन्होंने कहा कि वह स्थान तीर्थ स्थल ही बना रहेगा, पर्यटन स्थल का दर्जा वापस ले लिया गया है।
मुजफ्फरनगर में जैन समाज के गौरव जैन का कहना था कि अगर ऐसा होता तो पारसनाथ में होटल और पार्क बनते. लोग दर्शन के साथ छुट्टियां और पिकनिक मनाने भी आते. इससे पवित्र पर्वत पर मांस-मदिरा आदि के सेवन की भी खुली छूट हो जाती. ये युवाओं को मौज मस्ती का अड्डा बन जाता. जैन धर्म में इसकी इजाजत नहीं है।