साहित्य

कामयाबी की बिना है, मुस्तफा की जिंदगी। हर मुसीबत की दवा है, मुस्तफा की जिंदगी।।

पास्बाने उर्दू अदब चरथावल के बैनर तले एक खूबसूरत मुशायरा आयोजित

मुजफ्फरनगर। बीती रात चरथावल कस्बे के मोहल्ला तीरगरान में पास्बाने उर्दू अदब चरथावल के बैनर तले एक खूबसूरत मुशायरे का आयोजन किया गया। मुशायरे की अध्यक्षता इरशाद साबरी ने की। संचालन मौलाना वाकिब कुलहेड़ी ने किया। इस अवसर पर यूo डीo ओo के समन्वयक तहसीन अली असारवी मुख्य अतिथि व उर्दू खादिम डॉ. सलीम सलमानी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

अतिथियों तहसीन अली असारवी , डॉक्टर सलीम अहमद सलमानी, सदर इरशाद साबरी व कन्वीनर मौ0इमरान ने मुशायरे की शमा रोशन की। आयोजक मुशायरा मुहम्मद इमरान, गुफरान,नफीस और मास्टर हाशिम चरथावली ने मुशायरे को कामयाब बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुशायरे की शुरुआत अबुल कलाम कलीम चरथावली की नात पाक से हुई।
मुशायरे में पढा गया कलाम पेश खिदमत है :-
बयान करना हकीकत को छोड़ दे कैसे, अभी तो हमारे मुंह में जुबान बाकी है।
फिरोज अनवर

नक्शा ए इश्क में हूं चूर, तुम्हे क्या मालूम। क्या मुहब्बत के है दस्तूर, तुम्हे क्या मालूम।।
कारी शकील अहमद

सलीका सीख ले नादा, जमीन पर चलने फिरने का। तकब्बुर करने वालो से वो दौलत छीन लेता है।।
वाकिब कुलहेडवी।

कामयाबी की बिना है, मुस्तफा की जिंदगी। हर मुसीबत की दवा है, मुस्तफा की जिंदगी।। – तहसीन कमर असारवी।

अरे नासाह गुलामे मुस्तफा हूं, डराता क्या है तू रोजे जजा से।
– डॉ. तनवीर गौहर

माना की बहुत खाली है, फन बे लिबास है। लेकिन शऊर ओ फिक्र की दौलत तो है।। – इरशाद साबरी
जब जुबा पर मुहम्मद का नाम आ गया,
हर जुबा पर दरूदे सलाम आ गया।
तहसीन समर चरथावली

मुशायरे में उस्मान अहमद एडवोकेट, कारी शादाब चरथावली, मोबीन साहिर, मास्टर एजाज के कलाम सराहे गए। यहां इरफान, मुस्तफा, गुल्लू,मुनव्वर हसन, शाहनवाज आदि का योगदान रहा।

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