अपना मुज़फ्फरनगर

इंसानियत के फरिश्ते अपना खून देकर बचा रहे लोगो की जान

मुजफ्फरनगर में राहत की मुहिम रक्तदान व्हाट्सएप ग्रुप के रक्तवीर स्वेच्छा से जरूरतमंदों को रक्तदान करने में जुटे हुए है। जिसके चलते यहां दर्जनो लोगों की जान बच चुकी है। कई साल से यह सिलसिला यहा जारी है। कोरोना की प्रथम लहर में भी शाहवेज राव और ग्रुप के रक्तवीरों के कदम नहीं रूके। दूसरी लहर में भी ये रक्तवीर रक्तदान को तैयार रहते हैं। बीते दिनों भी रक्तवीरों ने गम्भीर बीमारी से पीडि़त एक मरीज जिसमे रक्त केवल 2.5 रह गया था।जिसमे ग्रुप के सदस्यों द्वारा चलाई गई मुहिम से तीन डोनर आगे आये थे जिन्होंने ब्लड देकर उक्त मरीज की जान बचाई थी। समाजसेवी एवं युवा पत्रकार शाहवेज राव बताते है कि गुरूवार को फोन कॉल के माध्यम से ये सूचना मिली कि एक मरीज जिला अस्पताल ने भर्ती है। जिसको AB पॉजिटिव ब्लड की आवश्यकता है। जबकि ये ग्रुप जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में उपलब्ध नही था। उसके बाद उन्होंने एक सूचना सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल की।

जिसके बाद मुजफ्फरनगर के युवा पत्रकार तस्लीम बेनकाब व डा. हारून ने तुरंत कॉल करके कहा कि वो ब्लड डोनेट करने के लिए जिला अस्पताल आ रहे है। कुछ ही देर में दोनों ने आकर उक्त मरीज को अपना ब्लड देकर मरीज की जान बचा ली। सीनियर जर्नलिस्ट तसलीम बताते है कि वे अब तक 24 बार ब्लड डोनेट कर चुके है। वो बताते है कि उनका मकसद ही लोगो को खिदमत करना है चाहे वो किसी भी माध्यम से हो इसलिए वे लगातार ब्लड डोनेट करते आ रहे हैं।
डा. हारून बताते है कि अब तक करीब 15 बार रक्तदान कर चुके हैं। वे बताते हैं कि 2014 जब वो अपना 16 वां जन्मदिन मना रहे थे तो उनके मन मे विचार आया क्यों ना इस दिन को हमेशा के लिए खास बनाया जाए,ओर रक्तदान करके किसी की जान बचाई जाए,बस तभी से वो जरूरतमन्दो को समय समय पर रक्तदान करते हुए आ रहे है। व्हाट्सएप के माध्यम से बने यह ग्रुप रक्तदान में आज मिसाल कायम कर चुका है। शाहवेज राव बताते है कि शुरुआत में लोगों ने खूब मजाक उड़ाया। परंतु उन्होंने इसकी परवाह नहीं की और लोगों की जान बचाने की मुहिम जारी रखी। जो पहले मजाक उड़ाते थे, वे आज सराहना करते नहीं थकते। इस ग्रुप के माध्यम से सैकड़ो लोगो लोगों को जीवनदान मिल चुका है। आज इस ग्रुप में युवा, छात्रा, डाक्टर, समाजसेवी व पत्रकार बड़ी संख्या में जुड़े हुए हैं। मास्टर इसरार कहते है कि रक्तदान से बड़ा कोई धर्म नहीं है। अगर मेरे द्वारा खून देने से किसी की जान बचती है, तो इससे बड़ा संतोष क्या होगा। जरूरत पड़ने पर मेरठ तक जाकर रक्तदान करता हूं। जो आगे भी जारी रहेगा।।

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