साहित्य
कदम से कदम मिलाकर तिरंगा हमें फहराना हैं!

स्वतंत्र हुए हमें साल पचहत्तर
भारत नहीं है किसी से कमतर
स्वतंत्रता दिवस हमें मनाना हैं
देश को जागरूक बनाना हैं
कदम से कदम मिलाकर
तिरंगा हमें फहराना हैं
चलो मिलकर करें तैयारी
न मेरी न तेरी बारी
भारत की है ज़िम्मेदारी
है पूरी तरह हमारी
हमें परवाह न जान की
बस विजय हिंदुस्तान की
चलो देश हित काम करें
अपना सब बलिदान करें
क्या होगा माल्यार्पण से
काम बनता समर्पण से
जगे भाव देशभक्ति का
परिचय दे रहे शक्ति का
शहीदों ने ऐसा काम किया
एक पल ना आराम किया
अंग्रजों को देश से निकाल
सपूतों ने रोशन नाम किया
भारत माँ के लाल थे
देश पर हुए कुर्बान थे
सैनिक बनते एक सहारा
जान अपनी कुर्बान करें
खोया ऐसे सपूतों को
भारत की जो शान थे।
सरिता जैन, मुरैना ✍?