अपना मुज़फ्फरनगर

लाखों करोडों के खर्च के बावजूद जल संरक्षण के प्रयास धडाम

पानी समझ क्यूँ अमृत को बहाते हो……!!!
कहीं लबालब तो कहीं बूंद बूं को तरस रहे तालाब

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को प्रोत्साहित न करने से वर्षा का जल हो रहा बर्बाद
(काज़ी अमजद अली)
मुज़फ्फरनगर में भू गर्भ जल के लगातार घटते स्तर ने कुछ स्थानों पर जल का संकट पैदा कर दिया है। भूगर्भ जल के स्तर के तेजी से घटने के चलते मुज़फ्फरनगर ज़िले के भी कुछ ब्लॉक् को रेड जोन में शामिल किया जा चुका है। जमीन के भीतर पानी की मात्रा को बढाने के लिए सरकार द्वारा जल संरक्षण करने के प्रयासों में तालाब की सफाई में लाखों करोडों की भारी भरकम रकम को लगातार खर्च किया जा रहा है। लेकिन धरातल पर सारे प्रयास शून्य नजर आते हैं। कुछ तालाब उचित सफाई न होने के कारण लबालब हो गये जिनका पानी सडकों पर फैलकर मार्गों को नुकसान पहुंचाने के साथ साथ जल भराव की समस्या पैदा कर रहे हैं। वहीं प्रबन्धन में लापरवाही के कारण अनेक तालाबों में पानी की एक बूंद भी नजर नहीं आ रही है।
बरसात का मौसम आधे से अधिक गुजर गया है।मुज़फ्फरनगर के मोरना ब्लॉक क्षेत्र में कई तालाब ऐसे भी हैं जिनमें बारिश के दौरान भी पानी की बूँद तक नजर नहीं आती है। कई ग्रामों में तालाबों खुदाई व सफाई के नाम पर लाखों की बडी धनराशि को खर्च किया गया लेकिन इन तालाबों में आबादी का पानी पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी जिसके चलते एक बडी रकम फिजूलखर्च ही प्रतीत हो रही है। वहीं गन्दगी से भरे तालाबों की सफाई आधे अधूरे तरीके से की गयी। इसी कारण मिट्टी से भरे तालाब पहली ही बारिश में लबालब हो गये। मोरना ब्लॉक में ही अनेक गांवों में तालाब का पानी सडकों पर आ रहा है। जिससे सडकें तो टूट ही रही है। साथ ही गन्दे पानी से फैली दुर्गन्ध व गन्दगी के कारण संक्रामक रोगों का फैलना भी स्वाभाविक है।

शहर व गाँवों में अनावश्यक रूप से भूगर्भ जल के दोहन तथा तालाबों की उचित सफाई न होने के कारण वर्षा के जल को संचित करना तो दूर जलभराव की स्थिति से नागरिक दो चार हैं।बात अगर मोरना ब्लॉक् की की जाये तो छछरौली,वज़ीराबाद,ककराला,बेलड़ा,शुकतीर्थ सहित अन्य गाँव मे तालाब की खुदाई पर एक बडी रकम खर्च की गयी किन्तु तालाब में पानी के नाम पर एक बूंद भी नजर नहीं आती है। पहले से ही सूखे तालाबों की सफाई प्रशासन द्वारा कराई गई । किन्तु पानी की कोई व्यवस्था न होने के कारण परिणाम केवल सरकारी धन की बर्बादी ही नजर आया।
वर्षा के जल को इकट्ठा करने में प्रशासन नाकाम अभी तक नाकाम रहा है । रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की अगर बात की जाये तो सिर्फ खण्ड विकास अधिकारी कार्यालय मोरना तथा उसी के बराबर में स्थित आरसेटी प्रशिक्षण संस्थान में वर्षा के जल को इकट्ठा करने का प्रबन्ध है। इसके अलावा पूरे ब्लॉक में कहीं भी शायद ही बारिश के पानी को भूमिगत करने का उपाय अपनाया गया हो । सरकारी व निजी संस्थानों की बडी इमारतों की छतों पर बरस रहा पानी केवल सडकों को जलमग्न कर रहा है। क्या ही अच्छा हो कि अगर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य रूप से अपनाया जाये जिससे बारिश के पानी को भूमिगत किया जा सके। भूमिगत जल स्तर के बढने के साथ साथ जलभराव की समस्या से भी नागरिकों को राहत मिल सके।

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