शोभित विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन
शोभित विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन
शोभित विश्वविद्यालय मेरठ में हिंदी दिवस के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर की गई। कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ अनीता राठौर द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए हिंदी के महत्व को बताया गया। हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में वरिष्ठ कवि श्री वीरेश त्यागी , शांति स्वरूप अनाड़ी , युवा कवि प्रवीण तोमर, युवा कवित्री उदिता शर्मा एवं वरिष्ठ कवित्री कोमल रस्तोगी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय राणा द्वारा अतिथियों का स्वागत रुद्राक्ष के पौधे देकर किया गया। कार्यक्रम में बोलते हुए प्रो राणा ने कहा कि देश के हर नागरिक को अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए और हमारे देश की राष्ट्रभाषा भी हिंदी ही है। हम सबको अपने आप को सौभाग्यशाली समझना चाहिए क्योंकि हमारी राष्ट्रभाषा एवं मातृभाषा एक ही है।
कवि सम्मेलन की शुरुआत करते हुए मंच का संचालन वरिष्ठ कवि वीरेश त्यागी जी द्वारा मां शारदे को याद करते हुए किया गया। युवा कवित्री उदिता शर्मा ने मां हिंदी की वंदना करते हुए कहा कि राष्ट्र का सम्मान एवं अभिमान है हिंदी उन्होंने संघर्ष की गाथा के ऊपर अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि संघर्ष से क्या घबराना नित नए आयाम रचो। हास्य रस के कवि शांति स्वरूप “अनाड़ी” ने अपने शानदार अंदाज में कहा कि हम हिंदुस्तानी हैं तो हमें हिंदी पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने आज के जमाने में बच्चों के अपने माता-पिता के साथ व्यवहार पर अपने व्यंग प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि “दौलत ना शोहरत न कभी कोई नाम दिया उसने, फिर भी मैं खुश हूं कि हंसाने का काम दिया उसने” हास्य रस के युवा कवि प्रवीण तोमर ने व्यंग प्रस्तुत करते हुए कहा “रामकृष्ण भी जीने का संदेश यही दे जाते हैं, परिवारों में एकरूपता की शांति समझाते हैं” कवित्री कोमल रस्तोगी ने अपनी कविताओं द्वारा सबको मंत्रमुग्ध करते हुए कहा कि प्रेम केवल प्रेसी के लिए नहीं होना चाहिए बल्कि जो हमारे जवान देश की सीमा पर देश की सेवा कर रहे सैनिकों, अपने देश को और अपनी हिंदी को प्रेम करने की आवश्यकता है। उन्होंने अपने व्यंग में कहा की पहले घरों में लोग ज्यादा और कमरे कम हुआ करते थे आज घरों में लोग कम हैं और कमरे ज्यादा है। उन्होंने अपने संबोधन में मेरठ के लाल शहीद मेजर मयंक बिश्नोई की शहादत को सलाम करते हुए कहा कि हर “आंखें होती हैं हम और सिसक पड़ी धरती, आओ मिलकर बोले जय जय सैनिकों की”
कवि सम्मेलन के अंत में वरिष्ठ कवि विवेक त्यागी ने कहा:
मां का मान है हिंदी
वतन की शान है हिंदी
वतन की जान है हिंदी
और जिस भाषा में मां आती है
तो मां का मान है हिंदी
हमें अंग्रेजी उर्दू अन्य भाषाएं भी मां जैसी हैं
मगर मेरा मान, प्राण एवं अभिमान है हिंदी
कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम की संयोजिका डॉ.पूनम देवदत्त द्वारा सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्होंने कहा कि कवि सम्मेलन में जितनी अहमियत कवियों की होती है उतनी ही अहमियत श्रोताओं की भी होती है।
कार्यक्रम के अंत में सभी कवियों को डॉ. पूनम देवदत्त एवं कुलसचिव मित्रानंद बहुगुणा द्वारा प्रतीक चिन्ह एवं शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया कुलपति इस अवसर पर स्कूल ऑफ एजुकेशन की निदेशक डॉ सुरक्षा बंसल, विश्वविद्यालय के कुलसचिव मित्रानंद बहुगुणा, उप कुलसचिव रमन शर्मा, डॉ गणेश भारद्वाज, मीडिया प्रभारी डॉ अभिषेक डबास, सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं छात्र मुख्य रूप से उपस्थित रहे।