छोटी नारी के साथ बेटी जैसा व्यवहार रखना चाहिए

–दिगंबर जैन मंदिर में धूमधाम से मनाया गया दसलक्षण पर्व
मेरठ में रिठानी स्थित दिगंबर जैन मंदिर में दसलक्षण पर्व धूमधाम से मनाए जा रहे हैं। भगवान को पांडुकशिला पर विराजमान करके अभिषेक तथा शांति धारा की गई। शांति धारा का सौभाग्य मनोज जैन एवं सुरेंद्र जैन को प्राप्त हुआ। वासुपूज्य भगवान के निर्वाण के उपलक्ष्य में लाडू चढ़ाया गया। वर्धमान स्तोत्र के 64 अर्घ चढ़ाए गए। रमेश चंद जैन, अरविंद जैन, अमित जैन का विशेष सहयोग रहा।
ब्रह्मचर्य धर्म के अंतर्गत व्यक्ति की दृष्टि केवल इस शरीर को मानकर रहती है जबकि, इस शरीर के अंदर जो हीरे के समान आत्मा है, उस पर दृष्टि नहीं जाती। शरीर ही सब कुछ है। यह भ्रम निकल जाए तो यह जीव अपनी आत्मा के पास पहुंच जाता है, वही वास्तव में असली ब्रह्म में चर्या करना कहलाता है। सुरेंद्र जैन ने बताया कि सोमवार को सम्यक चारित्र की पूजा की जाएगी। ब्रह्मचर्य अर्थात जो व्यक्ति एक नारी के साथ संपूर्ण जीवन व्यतीत करता है वह ब्रह्मचारी कहलाता है। उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म कहता है, अपने से बड़ी नारी के साथ माता के समान, अपने से बराबर नारी के साथ बहन के समान अपने से छोटी नारी के साथ बेटी जैसा व्यवहार रखना चाहिए। सभी श्रावक अपने परिवार के साथ उपस्थित रहें।
भगवान को पांडुकशिला पर विराजमान किया
वहीं दूसरी ओर, कमला नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में दसलक्षण पर्व धूमधाम से मनाए जा रहे हैं। सर्वप्रथम भगवान को पांडुकशिला पर विराजमान करके अभिषेक तथा शांति धारा की गई। शांति धारा का सौभाग्य प्रवीण जैन एवं सर्वेस जैन को प्राप्त हुआ। जम्बू दीप महामंडल विधान किया गया। मांडले पर 80 अर्थ चढ़ाए गए। इसके उपरांत सोलह कारण भावना तथा दसलक्षण धर्म की पूजा की गई। अभिषेक शांतिधारा में प्रेमचंद जैन, राकेश जैन, संजय जैन, वीरेंद्र जैन का विशेष सहयोग रहा।