धर्म

बागपत के प्राचीन जैन मन्दिर में हुआ भव्य सम्मान समारोह

दशलक्षण महापर्व को सफल बनाने में मुख्य भूमिका अदा करने वालेे बच्चों, महिलाओं और पुरूषो को किया गया सम्मानित

जैन समाज बागपत के विभिन्न संगठनों ने जैन धर्म की महत्ता पर डाला प्रकाश, जैन धर्म को बताया विश्व का सबसे सर्वश्रेष्ठ धर्म

विवेक जैन

बागपत नगर के प्राचीन दिगम्बर जैन बड़ा मन्दिर में दस दिनों तक चले जैन समाज के सबसे प्रमुख त्यौहार दशलक्षण महापर्व का समापन बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। संध्या के समय महाआरती की गयी। महाआरती के उपरान्त पिछले दस दिनों से इस दशलक्षण महापर्व में मुख्य भूमिका अदा करने वाले जैन समाज के बच्चों, महिलाओं और पुरूषों को उपहार देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के शुभारम्भ अवसर पर जैन समाज के लोगो ने चौबीस तीर्थंकर भगवानों को नमन किया और विश्व शांति के लिये प्रार्थना की। सकल जैन समाज बागपत के अध्यक्ष पंकज जैन ने दशलक्षण महापर्व को सफल बनाने के लिये महिला जैन मिलन बागपत, जैन सेवा संघ बागपत, जैन जागरण मंच बागपत, जैन मिलन पारस बागपत और सकल जैन समाज बागपत का आभार व्यक्त किया।

जैन समाज बागपत के प्रबन्धक बिजेन्द्र जैन ने बताया कि जैन समाज में अहिंसा और कर्म को प्रमुखता दी गयी है। कहा कि जीवों पर हिंसा मत करो, जो जैसा कर्म करेगा उसको वैसा ही फल मिलेगा। इसलिये सभी को अच्छे कर्म करने चाहिये। जैन जागरण मंच बागपत के अध्यक्ष मयंक जैन ने बताया कि जैनियों का अन्तिम उद्देश्य निर्वाण या मोक्ष को प्राप्त करना होता है। कहा कि जैन धर्म विश्व का सर्वश्रेष्ठ धर्म है। हमें अपने धर्म का पालन करना चाहिये और अपने बच्चों को वर्तमान स्कूली शिक्षा के साथ-साथ जैन धर्म की धार्मिक शिक्षा भी दिलवानी चाहिये। जीवन के बाद का रास्ता जैन धर्म की इसी धार्मिक शिक्षा द्वारा बनाये रास्ते से होकर गुजरेगा। जैन मिलन पारस के अध्यक्ष अमित जैन ने कहा कि जैन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है, इसकी पुष्टि हिन्दू धर्म के सबसे प्राचीन ग्रंथ माने जाने वाले वेदों शास्त्रों से भी होती है। वेद शास्त्रों में जैन धर्म के सबसे पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभनाथ जी जिनको आदिनाथ भगवान के नाम से भी जाना जाता है के बारे में उल्लेख किया गया है। कहा कि जैन धर्म महानतम धर्मो में से एक है। महिला जैन मिलन बागपत ने बताया कि हमारे प्रार्थना स्थलों को जिनालय कहा जाता है। जिन वे होते है, जिन्होंने अपने तन, मन और वाणी पर विजय प्राप्त कर आत्मज्ञान को पाकर पूर्णज्ञान को प्राप्त कर लिया है। कार्यक्रम के अंत में सभी जैन संगठनों के अध्यक्षों ने अपनी-अपनी कार्यकारिणी के सदस्यों का कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सैकड़ो की संख्या में जैन परिवारों से लोग उपस्थित थे।

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