बौद्ध केवल भारत का ही नहीं, संपूर्ण विश्व का धम्म है: डा. चौहान

सुभारती विवि में माघ पूर्णिमा के उपलक्ष्य में आयोजित हुआ कार्यक्रम
मेरठ। रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय स्थित योगशाला सभागार में माघ पूर्णिमा के उपलक्ष्य में बौद्ध अध्ययन विभाग की ओर से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। रासबिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति डा. पीके शर्मा ने बताया, आने वाले सत्र 2022-23 से बौद्ध अध्ययन इस विषय में एमए, बीए प्रमाणपत्रिय सर्टिफिकट इल पालिभाषा, डिप्लोमा इन उपनिषद, विशुद्धीमग्गा तथा मेडिटेशन पर शुरू होने वाला है।
उन्होंने इस विषय पर विस्तृत जानाकरी दी। सभी को बौद्ध अध्ययन विषय पढेÞ, इस पर चर्चा करें तथा इस विषय में डिग्री प्राप्त करने हेतु सभी को आमंत्रित किया तथा इस अवसर का लाभ लेने हेतु आवाहन किया। बौद्ध अध्ययन की विभाग प्रमुख डा. नीलिमा चौहान ने बौद्ध धम्म में माघ पूजा का क्या महत्व है इस विषय पर विस्तृत जानकी दी। उन्होंने कहा, बौद्ध केवल भारत का ही धम्म नहीं संपूर्ण विश्व का धम्म है। भारत का मुख्य धम्म होने के साथ-साथ यह जहां भी गया उस भाषा तथा संस्कृति में परिवर्तित हो गया। कालांतर बौद्ध के पश्चात संगितीयों के माध्यम से इस धम्म तथा साहित्य को जीवित रखने का महत्वपूर्ण कार्य बौद्ध भिक्षू तथा भिक्षूणीयों ने किया। भिक्षा संधने बुद्ध धम्म को भारत के बाहर विश्व में फैलाया तथा तथागत बुद्ध के बाद सम्राट अशोक ने इसे विश्व में फैलाने के धम्मदूत भेजे। जिनके कारण यह विचारधारा विश्व में तेजी से फैली। आज भी कई राष्ट्र बौद्ध बन चुके है। समता, स्वतंत्रता, बंधुता तथा न्याय यह बौद्ध धम्म की आधारशीला है और इन्ही तत्वों का विश्व में प्रसार करने में अग्रणी भुमिका भिक्षूसंघ की रही है। भिक्षुसंघ के साथ-साथ भिक्षूणीयों ने भी बौद्ध धम्म को विश्व में फैलाने का कार्य किया, इन्ही अग्रणी भिसूण महाप्रजापती गौतमी थी जो भिक्षुणी संघ की प्रमुख थी। इन्होंने भिक्षूण संघ में मुख्य रही। महाप्रजापति गौतमी का भी माघ पूर्णिमा को जन्मदिन था, इसी अवसर पर उनके कार्य तथा कर्तृत्व पर प्रकाश डाला गया। इस अवसर पर रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. खालिद हसन, समस्त प्रधानाचार्य, विश्वविधालय के शैक्षिक एवं गैर शैक्षिक कर्मचारी रहें।




