लाइफस्टाइल

तीन हजार लोगों की हुई स्क्रीनिंग टीबी के तीन नये मरीज खोजे गये

स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर खोज रहीं टीबी मरीज

मुजफ्फऱनगर। भारत को 2025 तक टीबी मुक्त करने के लिए जरूरी है एक-एक क्षय रोगी को खोजकर उसका तुरंत उपचार शुरू किया जाए। इसी उद्देश्य के साथ हर स्तर पर टीबी के लक्षणों की पहचान करते हुए टीबी मरीजों को स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर खोज रही हैं। घर-घर जाकर टीम बता रही हैं कि यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक खांसी, बुखार बने रहने, अचानक वजन कम होने, खांसी के साथ खून आने, रात में सोते समय पसीना आने जैसी कोई ‌शिकायत है तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इसके लिए जागरूक रहें और समय पर जांच करवाएं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. लोकेश चंद्र गुप्ता ने बताया-टीबी मरीजों को चिन्हित कर टीबी मुक्त करने के लिए तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं। “टीबी फ्री सब नेशनल सर्टिफिकेशन 2021” के तहत पूरे जनपद में 15 टीम कार्य कर रही हैं। 18 से 20 फरवरी 2022 तक 3000 लोगों की स्क्रीनिंग की गयी, जिसमें अब तक बलगम के 25 सैम्पल लिये गये। जांच में तीन लोगों में टीबी की पुष्टि हुई है। सर्वे के लिए संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि टीबी के जीवाणु हवा से फैलते हैं। जब किसी व्यक्ति के फेफड़ों या गले में टीबी के जीवाणु होते हैं तो उसके खांसते, छींकते, बोलते और हंसते समय जीवाणु हवा में फैल जाते हैं। टीबी के जीवाणु हवा में काफी समय तक रहते हैं। इस फैलाव को रोकने के लिए जरूरी है कि संक्रमित व्यक्ति खांसते या छींकते समय अपने मुंह को रूमाल या तौलिए से ढक लें। मॉस्क लगाना एक बेहतर उपाय हो सकता है। टीबी का उपचार शुरू होने के बाद संक्रमण फैलने की आशंका काफी कम हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की कंसलटेंट डॉ रेनू डोफे ने बताया-दो हफ्ते या उससे अधिक होना, दो हफ्ते या उससे अधिक बुखार होना, एक माह से सीने में दर्द रहना, तेजी से वजन और भूख कम होना, एक माह में कभी भी बलगम में खून का आना टीबी के मुख्य लक्षण हैं। उन्होंने कहा -यदि समय पर इन लक्षणों की पहचान न हो तो यह लक्षण खतरनाक रूप ले सकते हैं। इसलिए समय पर इलाज और पहचान जरूरी है।
जिला समन्वयक सहबान उल हक ने बताया -टीबी की जांच और उपचार पूरी तरह निशुल्क है। नियमित उपचार के बाद टीबी का रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है। उपचार के दौरान रोगी के बेहतर पोषण के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत सरकार की ओर से हर माह पांच सौ रुपए दिये जाते हैं। यह भुगतान रोगी के बैंक खाते में किया जाता है।
पीपीएम कॉर्डिनेटर प्रवीण कुमार ने बताया -जिले में 3867 मरीजों का इलाज चल रहा है। जिसके बाद सर्वे में तीन नए मरीजों की पुष्टी हुई है। सर्वे टीम संभावित इलाकों में सर्वे कर रही है।

Related Articles

Back to top button