आखिर कब बदलेगे हालात, बांट जोह रहे सब्जी उत्पादक

बेबसी का आलम:-आखिर कब बदलेगे हालात, बांट जोह रहे सब्जी उत्पादकhttps://t.co/2P6alrBT5a pic.twitter.com/gKol7TuVby
— TRUE STORY (@TrueStoryUP) May 9, 2022
(काज़ी अमजद अली)
मुज़फ्फरनगर :दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद रात को जागकर फसलों का पहरा देने के बाद भी अगर हालात न बदलें तो फिर कोई क्या करे। रोटी के साथ सब्ज़ी का स्वाद दिलाने वाले किसान तंगहाली का सामना कर रहे हैं।ओने–पौने दाम सब्ज़ी बेंचकर परिवार की गुज़र बसर करने वाले मज़दूर अपने दिन बहुरने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वहीं मज़बूत मंडी व्यवस्था तथा सरकार की उपेक्षा के कारण सब्ज़ी उगाने वाले किसान दिन-प्रतिदिन कर्ज़ के बोझ तले दबे जा रहें हैं।
मुज़फ्फरनगर जिले के शुक्रताल खादर में गंगा किनारे हज़ारों हेक्टेयर भूमि पर जायद की फसल उगाई जाती है। सैंकड़ों मज़दूर परिवार ज़मीन को ठेके पर लेकर सब्ज़ियाँ व तरबूज -खरबूज ककड़ी की फसल उगाते हैं सर्दी के मौसम के आगाज़ के दौरान इन फसलों की बुआई की जाती है। उसके बाद पाला आदि से फसलों को बचाया जाता है।अप्रैल माह के अंत मे फसलें तैयार हो जाने के बाद मौसम की फिक्र लेकर किसान फसलों को दोपहर के समय तोड़कर शाम के समय पैक कर रात्रि में वाहनो द्वारा मंडियों में भेजा जाता है। शुकतीर्थ गंगा किनारे सब्ज़ी उगाने वाले किसान बिजेन्द्र, सीताराम, बिरम, रामकुमार, आकाश,मदन,प्रदीप,अजय,राजू कश्यप,विपिन कश्यप,आकाश आदि ने बताया कि उन्होंने लौकी,तुरई,कद्दू ,खीरा टमाटर आदि सब्ज़ियों को उगाया हुआ है।लौकी तीन चार रुपये किलो मात्र बिक रही है उसके बाद मंडी तक पहुंचाने का भाड़ा आदि। सात हजार रुपये बीघा ठेके पर भूमि लेने के बाद महँगे कीटनाशक,तथा मंहगे बीज खरीदकर उगाई गयी फसलों के उचित भाव न मिलने से निराशा हाथ लग रही है। जहाँ इन सब्जियों को महँगे भाव फुटकर में बेंचा जाता है। वहीं मेहनतकश किसानों को उचित भाव न मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नही हो पा रहा है जिसके चलते सब्ज़ी उगाने वाले मज़दूर परिवार कर्ज़ के बोझ तले दबे जा रहे हैं। किसानों ने अपना दर्द बयान करते हुवे बताया कि मंडी में बेंचने वाले व खरीदने वाले दोनो से आडत के नाम पर शुल्क लिया जाता है। जिसके बाद चार गुना दाम में सब्ज़ियों को बाजार में बेंचा जाता है। क्षेत्र में बड़ी संख्या में मज़दूर परिवार जायद की खेती करते हैं सरकार अगर इस ओर ध्यान दे तो जायद की फसलों का वाजिब मूल्य किसानों को मिल सकता है।