राज्य

आज़ादी के आंदोलन में अहम योगदान रहा है बाबू जी व पंडित ओम प्रकाश का

कमल मित्तल

वरिष्ठ पत्रकार

सिसौली-मुजफ्फरनगर। बात देश की आजादी की हो और सिसौली की चर्चा न हो ,आजादी की बात अधूरी सी लगती है। सिसौली में महात्मा गांधी से प्रेरणा प्राप्त कर बाबूजी के नाम से विख्यात डा०मित्रसैन मित्तल एवं उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले पंडित ओम प्रकाश शर्मा का स्वतंत्रता के इतिहास में अपना महत्वपूर्ण योगदान रहा है, वही आजाद हिंद फौज में आभेराम ने भारत से लेकर रंगून तक अपना सिक्का जमाया था। महात्मा गांधी जी के साथ सत्याग्रह आंदोलन आदि में डा० मित्रसैन मित्तल ने महात्मा गांधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सभी सत्याग्रहो में हिस्सा लिया और कई बार आजादी की लड़ाई में जेल भी गए।आजादी के दीवानों के ठहरने का सुरक्षित स्थान सिसौली में डा० मित्रसैन मित्तल का घेर हुआ करता था।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री आजादी से पहले मुजफ्फरनगर के कस्बा सिसौली में स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर मित्तसैन मित्तल के यहां 1920-21मे लगभग 3 माह तक रहे थे ।स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर मित्तसैन मित्तल का निवास उन दिनों स्वतंत्रता सेनानियों के अड्डे के रूप में प्रख्यात था ।डॉक्टर मित्तसैन मित्तल ने शास्त्री जी की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें बिरालसी के गुरुकुल मे अपनी सिफारिश पर अध्यापक लगवाया था।बाद मे श्री लाल बहादुर शास्त्री डॉक्टर मित्रसैन मित्तल से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए। उस समय लाल बहादुर शास्त्रीजी मात्र पांच रुपये मासिक वेतन पर नौकरी करते थे।
बिरालसी के दयानन्द गुरुकुल में शास्त्रीजी की संस्कृत शिक्षक पद पर नियुक्ति हुई थी। छात्र उनकी पढ़ाई की दक्षता, सादगी और अनुशासन के कायल थे। अध्यापन के बाद शास्त्रीजी गुरुकुल की गायों को चराने के लिए जंगल ले जाते थे। धीरे-धीरे उनकी पहचान चोटा और सोंटा वाले मास्टर जी की हो गयी थी। वह सदैव स्वदेशी, खादी और एकता की प्रेरणा देते थे। शास्त्री जी ने 1921-1923 के बीच ग्रामीण अंचल में स्वाधीनता की अलख जगायी। स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से जुड़ने के बाद उन्होंने शिक्षक के दायित्व को छोड़ दिया।
सिसौली क्षेत्र में पहला रेडियो स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर मित्रसैन मित्तल सन 1948 में दिल्ली से लाये थे। जिसका सिसौली क्षेत्र के आम लोग उनके साथ बैठकर आनंद लेते थे।
आजादी के पूर्व से ही स्वतंत्रा सेनानी डॉक्टर मित्रसेन मित्तल के की कोठी में आमजन की चौपाल लगती थी ,जिसमें कभी-कभी अंग्रेज अधिकारी सहित जिले के बड़े अधिकारी आते जाते रहते थे।
स्वतंत्रता संग्राम में क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाले डॉक्टर मित्र सेन मित्तल ने राष्ट्रपिता गांधी जी की शहादत के समय जब दिल्ली में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने गए ,तब एक ट्रांजिस्टर लेकर सिसौली आए थे, जिसे सिसौली में क्षेत्र के लोगों को बड़ी घटनाओं की सूचना रेडियो द्वारा तुरंत उपलब्ध हो सके।
बताते हैं कि उस समय लोग देहाती कार्यक्रम वगैरह सुनने के लिए भी शाम के समय एकत्र हो जाया करते थे।
डा मित्रसैन मित्तल सामाजिक कार्यों में सबसे आगे रहते थे। सन् 1928 मैं वीतराग स्वामी कल्याण देव के निवेदन पर तीन बीघा जमीन कन्या विद्यालय के लिए दान की थी, जिसे किसान मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने राजकीय कन्या इंटर कॉलेज में समायोजित कराया ,जिसमे छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही है।

डॉक्टर मित्रसैन मित्तल अपने पिता श्री देवकीनंदन सहाय के दो पुत्रो में छोटे बेटे थे, जिन्होंने सिसौली के धनाढ्य किसान परिवार में 15अप्रैल 1890 में जन्म लिया ।
सन् 1918 आर्युवेदिक युनानी तिब्बिया कॉलेज दिल्ली से वेध की उपाधि ली, और आजीवन निशुल्क दवाखाना चलाया, जिसमें मरीज को सभी दवाइयां भी फ्री दी जाती थी। जिसके लिए 1918 से लगातार इनकी चिकित्सीय सेवाओ के बारे मे अधिकारीयों ने सिसौली स्थित डॉक्टर मित्रसैन मित्तल की कोठी पर अनेक बार आकर इस बात को अभिप्रमाणित किया है। जिसका अभिलेख आज भी उनके परिजनों के पास उपलब्ध है।
देश की आजादी के बाद डॉक्टर मित्र सेन मित्तल ने अपनी दोनाली बंदूक जिसे अंग्रेज सरकार द्वारा आजादी की लड़ाई के समय जब्त कर लिया गया था, आजादी के बाद मुजफ्फरनगर जिलाधिकारी द्वारा उन्हें बंदूक सोपे जाने के समय दोनाली बंदूक को यह कहकर मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी को सौंप दिया गया था कि अब हम आजाद हैं और बंदूक की आवश्यकता देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि बॉर्डर पर सुरक्षा के लिए है। और जब बात आई कि स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन मिलेगी या उनके परिजनों को कुछ लाभ मिलने वाला है ,ऐसे में डॉक्टर मित्रसैन मित्तल ने जिलाधिकारी से लिखित में अनुरोध किया था कि उन्हें और उनके परिवार को स्वतंत्र सेनानियों को दी जाने वाली किसी भी पेंशन या अन्य सुविधाओं से वंचित रखा जाए।

1964 में जब श्री लाल बहादुर शास्त्री देश के दुसरे प्रधानमंत्री बने, उन्होंने सिसौली संदेश भेजकर डॉक्टर मित्रसैन मित्तल को किसी प्रदेश का गवर्नर बनाए जाने के लिए दिल्ली आने का निमंत्रण दिया था, जिसे डॉ मित्रसैन मित्तल ने बड़ी विनम्रता के साथ अस्वीकार कर दिया था। 13 मई 1976 को डॉ मित्रसैन मित्तल स्वर्गवासी हो गए।
जनता के लिए पानी पीने के लिए एक साथ बनवाए थे पांच कुए
डॉ मित्रसैन मित्तल ने पानी की विकट समस्या को देखते हुए सिसौली में एक साथ 5 कुए बनवाए थे ताकि लोग ताजा पानी पी सके। जिन्हें अभी तक उन्हीं के नाम से पुकारा जाता है।
बोरी के कपड़े से बनवाया था कोट पेंट:-
विलायती कपड़ों से बने कोट पेंट पहने एक अंग्रेज अधिकारी को देखने के बाद स्वदेशी की महत्ता को साबित करने के लिए एक बार डॉक्टर मित्रसैन मित्तल ने अपने साथी ओम प्रकाश शर्मा सहित कई लोगों के लिए कोट पेंट बनवाए थे और मजे की बात यह है कि उन कोट पेंट में कपड़ा नहीं बल्कि जिस कपड़े से बोरी बनाई जाती है उस मैट्रियल का इस्तेमाल किया गया था।


स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर मित्रसैन मित्तल के बारे में यादों को ताजा करते हुए
मेरठ यूनिवर्सिटी 1977 के गोल्ड मेडलिस्ट डॉक्टर अर्जुन गर्ग ने बताया की मेरे बचपन का काफी समय सिसौली में अपनी ननिहाल में गुजरा ।मेरे नाना डॉक्टर मित्रसैन मित्तल गरीब अमीर सभी का बराबर सम्मान करते थे ।अगर एक गरीब व्यक्ति उनके मीटिंग हॉल में कुर्सी पर बैठा है और कोई दूसरा धनाढ्य व्यक्ति वहां पहुंच जाता है तो ऐसे में आने वाले व्यक्ति के स्वागत में बैठने के लिए अलग से इंतजाम किया जाता था ,न कि पूर्व में बैठे गरीब व्यक्ति को उठाकर उन्हें वहां बैठाया जाता था। मेरे नाना हमें स्वतंत्रता इतिहास के बारे में अनेकों घटनाएं बताते रहते थे ।उन्हें तीन भाषाओं हिंदी ,अंग्रेजी, उर्दू में लिखने पढ़ने और बोलने में महारत हासिल था। उनके दवा खाने में कोई भी व्यक्ति दवा लेने किसी भी समय आ सकता था और वै आने वाले व्यक्ति को संतुष्टि के साथ फ्री में दवाई दवा मुहैया कराते थे।
डॉक्टर अर्जुन गर्ग ने कहा कि मेरे नाना जी सच्चे स्वतंत्र सेनानी थे जिन्होंने राष्ट्रहित में पेंशन तक लेना अस्वीकार कर दिया था। लेकिन तत्कालीन जिला प्रशासन और लेखकों ने उन्हें स्वतंत्र सेनानी की सूची की सूची से विलोपित करने का गलत कार्य किया है। डॉक्टर अर्जुन गर्ग ने जिला प्रशासन से मांग की है कि उनके नाना जी का नाम ससम्मान दोबारा स्वतंत्र सेनानियों की सूची में सम्मिलित किया जाए।

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