अपना मुज़फ्फरनगर

बेजुबान परिंदो की इतनी बड़ी सजा क्यों? कानफोडू डीजे के शोर व पटाखों से हलाक हो रहे पक्षी

डीजे की तेज़ आवाज व पटाखों के धमाकों से परिन्दे परेशान

सेन्चुरी क्षेत्र में डीजे की तेज आवाज व आतिशबाजी के धमाकों से वन्य जीवों के जीवन पर पड रहा दुष्प्रभाव

रूढ़िवादी परम्पराओं व दिखावा मात्र के लिये पर्यावरण को पहुँचाया जा रहा भारी नुकसान

काज़ी अमजद अली
मुज़फ्फरनगर
।पर्यावरण सहित वन्य जीवों, पक्षियों को बचाने के लिए कोई भी सार्थक प्रयास किसी ओर से नहीं किये जा रहे हैं। जिस कारण पर्यावरण दिन प्रतिदिन दूषित हो रहा है। वहीं सेंचुरी क्षेत्र में वन्य जीवों व पक्षियों के जीवन पर पड रहे दुष्प्रभाव के कारण उनके समाप्त होकर विलुप्त हो जाने की आशंका उत्पन्न हो गयी है।
शादी समारोह में तेज आवाज वाले डीजे व बैण्ड बाजों के बीच तेज आवाज वाले माईक सहित तेज धमाकों वाली आतिशबाजी का चलन तेजी से बढ रहा है। घंटों तक चलने वाली आतिशबाज व तेज साउण्ड वाले डीजे बजाना ऐश्वर्य व धनाढ्य होने का प्रतीक माना जा रहा है। शादी समारोह आदि में बजने वाले तेज आवाज के डी जे साउण्ड का कोई मानक न होने के कारण सैकडों मीटर तक उनकी ध्वनि की आवृत्ति अनेक प्रकार से मानव व अन्य जीवधारियों के बेहद नुकसानदेह साबित हो रही है। डीजे की तेज आवाज हृदयरोगियों व दिमाग के रोगियों के लिए तो प्राणघातक है ही, वहीं आसपास रहने वाले जीव जन्तुओं में बढने वाली बेचैनियों को समझना नितान्त आवश्यक है। डीजे की तेज आवाज की होड पर न किसी का नियंत्रण है और न कोई प्रभावी कानूनी कार्रवाई। जिस कारण डीजे की बढती होड बडी परेशानी का सबब बनने वाली है।
वहीं आतिशबाजी में छोडे जाने वाले पटाखों की आवाज ध्वनि प्रदूषण फैला रही है। पटाखों की तीक्ष्ण गंध हवा को दूषित कर रही है। शादी समारोह में घंटों तक चलने वाली आतिशबाजी से स्थलीय जन्तुओं के अलावा पक्षियों के जीवन पर भारी दुष्प्रभाव पड रहा है। पटाखों के तेज धमाकों की आवाज से परिन्दे परेशान होकर अपने घोंसले छोड देते हैं तथा रात्रि में इधर उधर भटकने लगते हैं।

क्यूँ सेन्चुरी क्षेत्र में नहीं होती कार्रवाई:

वन्य जीवों के लिए सुरक्षित हस्तिनापुर सेंचुरी क्षेत्र में भी डीजे व आतिशबाजी पर कोई पाबन्दी नहीं है। सेंचुरी क्षेत्र में पडने वाले गांव आदि में तेज डीजे की आवाज तथा आतिशबाजी के धमाके खुलेआम किये जाते हैं। जिससे पर्यावरण को तो भारी नुकसान पहुंच ही रहा है। वहीं वन्य जीवों की जिन्दगी पर दुष्प्रभाव लगातार पड रहा है। डीजे व आतिशबाजी पर प्रतिबंध न होने के कारण सेंचुरी क्षेत्र में वन्य जीवों की सुरक्षा आधी अधूरी नजर आती है। क्या ही बेहतर हो कि सेंचुरी क्षेत्र में कडे कानून बनाकर डीजे व आतिशबाजी को पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाए।

धार्मिक स्थलों जैसी हो कार्रवाई:
हाल ही में प्रशासन द्वारा धार्मिक स्थलों से माईकों की आवाजों को कम करने के आदेश दिये गये थे। जिसके चलते धार्मिक स्थलों से माईकों की संख्या में कमी आई थी। ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा किये गये प्रयास प्रथमदृष्टया भले ही अजीब लगें हो। किन्तु समाज ने उसको स्वीकार किया। किन्तु डीजे व आतिशबाजी की तेज आवाजें शायद प्रशासन के कानों तक नहीं पहुंचती या प्रशासन सबकुछ देखकर भी अंजान बना हुआ है। डीजे की तेज आवाज तथा आतिशबाजी को रोकने में आमजन शिकायत करता हुआ संकोच करता है तो प्रशासन भी मौन धारण किये हुए है। जबकि डीजे व आतिशबाजी की आवाज प्रत्येक दृष्टि से नुकसानदेह है। एनसीआर में जहां प्रशासन पर्यावरण को बचाने के लिए अनेक दावे करता रहता है। वहीं आतिशबाजी व डीजे की तेज आवाज पर कार्रवाई न होना प्रशासन के ढुलमुल रवैये को साबित करता है।
सभ्य समाज को करनी होगी पहल:

शान्ति व सुकून के लिए अनेक मंचों से भाषण दिये जाते हैं तथा नागरिकों को शांति व सुकून के लिए जागरूक किया जाता है। शादी समारोह के दौरान डीजे की तेज आवाज व आतिशबाजी के धमाके भले ही सम्पन्नता को प्रदर्शित करते हों किन्तु आदर्श होने के विपरीत हैं। सभ्य समाज को सुकून व शान्ति के लिए पहल करनी होगी तथा स्वयं जागरूक होकर अन्यों को भी जागरूक करना होगा। इसकी शुरूआत अमीरों को सर्वप्रथम करनी होगी, जिससे समाज में एक अच्छे संदेश को विस्तार मिले। डीजे व आतिशबाजी को नकारकर शांति के साथ संस्कृति को आदर्श मानते हुए शादी समारोह सम्पन्न किये जायें। जिससे एक दृढ आधुनिक समाज को सभ्यता की पहचान मिले।

TRUE STORY

TRUE STORY is a Newspaper, Website and web news channal brings the Latest News & Breaking News Headlines from India & around the World. Read Latest News Today on Sports, Business, Health & Fitness, Bollywood & Entertainment, Blogs & Opinions from leading columnists...

Related Articles

Back to top button