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बमबारी के बीच भविष्य बचाने को यूक्रैन पहुंच गये मुज़फ्फरनगर के आधा दर्जन छात्र छात्राये….

माइनस 3 डिग्री के बीच बमबारी से सिहर जाते है युवा, 8 से 10 घंटे बिजली पानी रहता गायब, कभी भी बज जाता है वार जोन में सायरन

मुज़फ्फरनगर। भविष्य बचाने की जद्दो जहद में युद्ध के बीच काफी भारतीय छात्र अपनी पढ़ाई के लिए यूक्रेन पहुंच तो गए लेकिन वहाँ के हालात काफी भयावह निकले। यहां के आधा दर्जन स्टूडेंट अब वहा तनाव झेल रहे है। मुज़फ्फरनगर के तावली निवासी छात्र फरमान चौधरी यूक्रेन की इवानो यूनिवर्सिटी में मेडिकल के छात्र है। वे हाल ही में यूक्रेन पहुंचे है। फोन पर हुई बात चीत में फरमान ने बताया कि यहाँ के हालात बहुत खराब है। लगातार 8 से 10 घण्टे बिजली पानी चली जाती है। वार जोन में कभी भी सायरन बज उठता है तो वे सिहर जाते है। माइनस 3 डिग्री के बीच यहाँ दहशत में जिंदगी गुजर रही है। मुज़फ्फरनगर के 78 छात्र छात्राये यूक्रेन अध्ययनरत थे। जो युद्ध की घोषणा के बाद आपरेशन गंगा के तहत निकाले गये थे। यहाँ लगातार चल रहे युद्ध के बीच एमबीबीएस की पढ़ाई 1 सितंबर से ऑनलाइन शुरू हो चुकी है। जिसको लेकर छात्र काफी चिंतित हैं। क्योकि एनएमसी द्वारा भी छात्रों की सहायता ना करने के लिए हाथ खड़े कर दिए हैं। वही एमबीबीएस की पढ़ाई एक क्लीनिकल प्रेक्टिस है जो ऑनलाइन नहीं की जा सकती है। वही भारत सरकार गंगा मिशन योजना के तहत छात्रों को भारत वापस तो ले आई लेकिन उनकी पढ़ाई पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। ऐसे में अब एमबीबीएस के सभी छात्र दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना करने को भी मजबूर हो गए थे।

सफल हुआ था मोदी का मिशन गंगा:

बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के दौरान यूक्रेन में पढ़ने वाले लगभग 18 हज़ार भारतीय छात्रों को भारत सरकार ने गंगा मिशन योजना के तहत सकुशल वापस निकाला था। जिनका एयरपोर्ट पर सरकार द्वारा गुलाब का फूल देकर स्वागत भी किया गया था। वहीं सरकार ने भारतीय छात्रों के पढ़ाई की जिम्मेदारी का वादा भी किया था। जिसके बाद सभी भारतीय छात्रों को सरकार से आशा थी कि वह उनकी एमबीबीएस की पढ़ाई को बीच में रुकने नहीं देगी और किसी मेडिकल संस्थान से उनको एमबीबीएस की पढ़ाई पूरा कराएगी। लेकिन सरकार यूक्रेन से वापस लौटे छात्रों की पढ़ाई पर कोई ध्यान नहीं दे रही है जिसको लेकर राजनीतिक नेताओं ने भी छात्रों के भविष्य पर ट्वीट किये है। आपको याद होगा कि गंगा मिशन योजना के तहत यूक्रेन से भारत वापस लौटे छात्रों को गुलाब का फूल देकर स्वागत किया गया था। वही एयरपोर्ट पर गुलाब का फूल देकर स्वागत करने के मामले में राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत सिंह चौधरी ने सरकार को ट्वीट किया था। ट्वीट में जयंत ने कहा था कि हवाई अड्डे पर गुलाब का फूल तो मिल गया लेकिन वाह वाही लूटकर अनजान बन गए हैं। छात्र मजबूर होकर ही सर्वोच्च न्यायालय में न्याय की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने एक बार फिर युवाओं के साथ वादाखिलाफी कर मायूस किया है। छात्रों के भविष्य को लेते हुए ऐसे ही कई ट्वीट छात्रों के पक्ष में अन्य राजनीतिक पार्टियों द्वारा भी किए गए हैं। लेकिन वर्तमान सरकार यूक्रेन से भारत लौटे छात्रों के भविष्य के बारे में कुछ भी कदम नहीं उठा रही है। जबकि छात्र सरकार से भारत में ही अपनी पढ़ाई पूरी करने की अपील कर रहे है। वही सभी छात्र भारत में मेडिकल की पढ़ाई करने के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवा देने के लिए भी सरकार को शपथ पत्र देने के लिए तैयार है। अब ऐसे में सभी छात्रों की सरकार से यही मांग है कि उनकी एमबीबीएस की पढ़ाई को भारत में ही पूरा कराया जाए। क्योंकि भारत में लगभग 600 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं और लगभग 18 हज़ार छात्रों को इन सभी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाते हुए प्रैक्टिस कराई जा सकती है जिसके एवज में वह भारत में अपनी मेडिकल सेवा भी देने के लिए तैयार हैं। वही छात्रों की निराशा में आशा की एक किरण अभी भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिकी हुई है उनको विश्वास है कि अगर हमारा भविष्य बच सकता है तो भारत सरकार ही हमारा भविष्य बचा सकती है। वहीं अगर सरकार हमारे भविष्य की और ध्यान नहीं देती है तो मजबूरन हमे सड़कों पर उतरना पड़ा था।

एमबीबीएस के छात्र अब्दुस्समद का कहना है कि जब हम यूक्रेन से भारत वापस आ रहे थे तो हमारे देश के तिरंगे ने यूक्रेन में हमारी जान बचाई थी। हमें बहुत गर्व था कि हम भारत देश के नागरिक हैं और हमारी सरकार हमारी जान बचा रही है। लेकिन अब वही सरकार हम 20 हज़ार छात्रों के भविष्य को अनदेखा कर रही है क्योंकि एमबीबीएस की पढ़ाई को ऑनलाइन नहीं किया जा सकता है। क्योंकि यह पढ़ाई क्लिनिकल प्रैक्टिस है ऐसे में एमबीबीएस फाइनल ईयर के छात्रों के लिए यह घड़ी बहुत ही मुश्किल वाली घड़ी है। क्योंकि अगर भारत सरकार ने हमारे भविष्य पर ध्यान ने दिया तो 5 साल की स्टडी बेकार हो जाएगी और हमारा भविष्य बर्बाद हो जाएगा। ऐसे में भारत सरकार को हम सभी छात्रों की पढ़ाई भारत के मेडिकल कॉलेजों में करा देनी चाहिए। हम सरकार को यह भी शपथ पत्र देने के लिए तैयार हैं कि हम मेडिकल की पढ़ाई करने के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं भी देंगे। बस सरकार हमारी पढ़ाई भारत में ही पूरी करा दे।
जान के पड़ रहे लाले, भविष्य बचाने को जान की कुर्बानी देने को भी तैयार …. मुज़फ्फरनगर के तावली निवासी फरमान चौधरी, ककरौली की इकरा अंसारी,मोरना के विश्वास, खतौली की काजल, नई मंडी के सुधांशु,एवं रामपुरी के इशू कुमार यहा से यूक्रैन जा चुके है। लेकिन वहां आ रही परेशानियों से परिवार तनाव झेल रहै है। दिन रात परिवार के लोग व्हाट्सअप कॉलिंग में पर बात करके सलामती की दुआ करते है।
नहीं जाना चाहते यूक्रैन, अपने वतन में ही मिले एडमिशन
यूक्रैन में अध्ययनरत हर्ष गोयल का कहना है कि वोह अपनी खुशी से भारत नही आये बल्कि उन्हें वार जॉन से ऑपरेशन गंगा के तहत निकाला गया था। अब्दुस्समद का कहना था कि उनकी तीसरे वर्ष की पढ़ाई चल रही है। अब क्लीनिकल ट्रेनिंग की जरूरत है। अगर उन्हें यहाँ यह सुविधा नही मिली तो मज़बूर होकर उन्हें भी यूनिवर्सिटी जाना पडेगा। अन्यथा की स्थिति में उनकी डिग्री भी मान्य नही होंगी। उनके माता पिता भी उन्हें वार जोन में भेजने को तैयार नही है। क्योकि वहां लगातार बमबारी जारी है।

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