कोरोना के नए रूप से बचाव में कारगर है हवन- यज्ञ, दादी माँ का नुस्खा भी कारगर

(डॉ. सतेंद्र सिंह)
चारो ओर कोरोना का हा हा कार मचा हुआ ।कोरोना का नया रूप पहले से भी ताकतवर होकर लोगों को अपनी गिरफ्त मे ले रहा है। इस बार जन्म से लेकर 100 वर्ष तक के लोग कोरोना से ज्यादा ग्रसित हो रहे हैं।
आयुर्वेद के दो उद्देश्य हैं, पहला स्वास्थ्य रक्षणम -अतःस्वस्थ्य व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना 2 आतुरस्य विकार विमोक्षणम -रोगी व्यक्ति के रोग की चिकित्सा करना। मनुष्यो मे रोग न फैले इसके लिए सवच्छ वातावरण का होना नितान्त आवश्यक है । अथर्वेद मे इस प्रकार का वर्णन मिलता कि आश्रमो मे ॠषि मुनि बडी यज्ञशालाओं का निर्माण करा प्रतिदिन प्रातःकाल वातावरण शुद्दि के लिए यज्ञ हवन किया करते थे। हवन कुण्ड मे आम की समिधा(लकड) गाय का घी कपूर, हवन सामग्री जिसमे मुख्य रूप से जटामासी ,अगर,तगरू, गुग्गुल, लोबान,हाऊबेर(झडबेरी के बेर ,नीम की पत्तियां, लाल श्वेत चन्दन चावल, मिश्री , छोटी बडी इलाएची आदि औषधियों डाली जाती थी किसी एक व्यक्ति को यज्ञमान बनाया जाता था । हवन मे आहूति डालने के लिए मन्त्रो का उच्चारण कर स्वाह शब्द के साथ सभी लोग सामग्री डालते थे ।इसी प्रकार के आयोजन सभी प्रबुधजन अपने घरो के उत्तर पूर्व दिशा मे प्रातःकाल हवन किया करते थे। यज्ञ के प्रतिदिन आयोजन से बहुत सारी आक्सीजन एकसाथ वातावरण मे फैलकर हानिकारक अर्थात रोग उत्पन्न करने वाली दूषित गैस को हवन के धुएं के साथ आकाश की ओजोन पर्त से मिलकर नष्ट हो जाती थी।अतः मनुष्य व समस्त प्राणि स्वस्थ रहते थे।इसके उपरान्त यदि कोई प्राणि अशुद्द खानपान व व्यवहार से रोगी हो जाता था वह औषधि प्रयोग से शीघ्र स्वस्थ हो जाता था ।
सभी लोग कोराना के वातावरण से सफाए के लिए आम जन को प्रतिदिन हवन करने लिए प्रेरित कर जनपद मुजफ्फरनगर मे हवन का आयोजन पायलट प्रोजेक्ट के रूप मे किया जाये ।अच्छा तो यह रहे कि प्रधानमन्त्री देश स्तर पर प्रतिदिन हवन आयोजन के देशवासियो को प्रेरित करे।इस कार्य के लिए धर्मगुरुओ का सहयोग लिया जाए। रमजान के पवित्र महीने मे सभी धर्मो के लोग अपने धर्म के अनुसार करोना वायरस के खातमे के लिए इबादत/प्रार्थना करें। हारेगा कोरोना जितेगा भारत। आक्सीजन की मात्रा 5 G रेडिएशन की वजह से भी कम हो रही है। सरकार तत्ककल प्रभाव से इस पर रोक लगाए।ताकि मानव जाति काल के असमय गाल मे जाने से बच जाए। वृक्ष आक्सीजन उत्पादन मे सबसे बडा योगदान देते थे वर्तमान समय मे पेड अन्धाधुन्द काटे जा रहे हैं।जितने पेड कट रहे हैं उस अनुपात मे लगाए नही जा रहे हैं।यह भी वातावरण मे आक्सीजन की कमी का मुख्यकारण है। पीने के पानी से मनुष्य को आक्सीजन मिलती थी लेकिन पीने का पानी भी आज दूषित हो गया है जिससे अनेको प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही हैं।
आमजनो से मेरा विनम्र निवेदन है कि घर पर रहें सुरक्षित रहें,भीडभाड वाले स्थानो पर न जाएं यदि किसी कारणवश बाहर जाना जरूरी हो तो मास्क लगाकर जाएं,एक छोटा सेनेटाइजर अपनी जेब मे साथ लेकर जाएं अगर गलती से हाथ किसी सतह से छू जाता है तुरन्त सेनेटाइज करे।एक दूसरे 6 फिट की दूरी बनाकर रखे।घर आने पर अपने जूते चप्पल दरवाजे के अन्दर एक तरफ उतार दें।सीधे बाथरूम मे जाकर कपडो को उतार कर टिटर्जेन्ट वाले पानी मे भिगो दे अच्छी तरह से हाथ व मुह साबुन से धोकर स्नान करने के बाद ही घर के अन्दर प्रवेश करे। मेरा आपसे मिलना उतना जरूरी नही आपका स्वस्थ रहना जरूरी है।मेरे सभी मित्र ,रिश्तेदार व परिवार वाले स्वस्थ व सुरक्षित रहे यही प्रार्थना मे परमपिता परमेश्वर से करता हूं।आज अस्पताल मे बैड उप्लब्ध नही है।।बीमारी से घबराएं नही ,मनोबल बनाए रखे ,भगवान की पूजा घर पर रहकर करें।सुबह शाम घर की छत व आगन मे आधा घन्टा घूमे , अनुलोम प्राणायाम,कपालभाति प्राणायाम,भस्त्रिका प्राणायाम,भ्रामरी,ओमगीत का जाप प्रत्येक 10 से 15 मिनट करें। योगासन,एक्सरसाइज करें । एसा करने से फेफडे क्रियाशील होंगे शरीर मजबूत होगा ।फ्रीज का रखा खाना न खाएं,ठण्डा पानी न पिये।दिन मे तीन चार लीटर पानी पिएं लेकिन जब भी पीये गर्म करके पियें।चाय या गर्म सूप पिये।घर का बना ताजा खाना खाएं हरी सब्जी व ताजे फल भरपूर मात्र् मे खाएं।खाली पेट घर से बाहर न निकले। घबराने की नही सावधान रहने की जरूरत है। अपने मन मे नकारात्मक विचार न आने दे म्यूजिक सुने, हंसी मजाक वाली फिल्मे देखे। निम्नलिखित लक्ष्णो केसमिलने पर जैसे गले मे खराश,सुखी खांसी, बुखार ,जुकाम , सिरदर्द ,बदन दर्द होने पर निम्न चिकित्सा शुरू करें।
1 एक कप दूध मे हल्दी डालकर सुबह शाम पिलाएं।
2.गिलोय,काली मिर्च, लोंग , दालचीनी,तुलसी पत्र डालकर काढा बनाएं जब पकते पकते 1/2 गिलास रह जाए तब एसा दिन मे तीन बार पिलाएं।
3 गर्म पानी मे हल्दी व फिटकरी डालकर गलारे कराएं।
4 एक नीबू लेकर काटकर एक चम्मच मे रस निकालकर बीज अलग कर तीन तीन बूंद दोनो नासाछिद्र मे डाले यह श्वासनली के जरीये फेफडे तक जाएगा इसके कुछ समय उपरान्त सारा कफ नाक व मुह के द्वारा बाहर निकल जाएगा व समस्त वायरस भी मर जाएगे। यदि उपरोक्त लक्षण हों
कोरोना कि जांच कराए। जांच पाजीटिव आने पर अपने जिला चिकित्सालय /निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र पर सम्पर्क करे ।
यदि पल्स आक्सीमीटर से जांच करने पर ऑक्सीजन कम हो तो अस्पताल मे भर्ती कराएं।
दादी माँ कहा करती थी रात को सोने समय नाक के दोनो नथुनो मे सरसो के तेल की दो दो बूंद डालकर सोये। ऐसा करने से नाक के सायनस भाग मे छुपे वायरस/बेक्टीरिया मरकर मुह से सीधे फेफडे मे न जाकर भोजन प्रणाली मे जाकर बाहर निकल जाएंगे। आज के समय मे दादी माँ की बहुत पहले कही गयी बात का पालन करें।
डाक्टर सतेन्द्र सिंह
प्रदेश अध्यक्ष
उत्तम प्रदेश निर्माण संगठन(रजि)