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स्कूलों में टीचर्स की ऑनलाइन अटेंडेंस की तैयारी… अध्यापको ने रखी 5 मांग ? पहले यह पूरी करो तब बनेगी बात

UP की राजधानी लखनऊ से…

परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने की नई व्यवस्था लागू करने से पहले बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों से सुझाव लिए। गुरुवार को अपर मुख्य सचिव (बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा) पार्थ सारथी सेन शर्मा की अध्यक्षता में शिक्षकों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें आगामी ऑनलाइन उपस्थिति मॉड्यूल पर विस्तार से चर्चा की गई।

अपर मुख्य सचिव ने बैठक में शिक्षकों को यह बताया कि इस नई व्यवस्था के तहत प्रधानाध्यापक को विद्यालय प्रारंभ होने के एक घंटे के भीतर सभी शिक्षकों की उपस्थिति, अनुपस्थिति या अवकाश की जानकारी ऑनलाइन दर्ज करनी होगी। इसका उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और समयबद्ध उपस्थिति सुनिश्चित करना है।

हालांकि, शिक्षकों ने इस व्यवस्था को लागू करने से पहले कुछ सुविधाएँ और व्यवस्थागत सुधार किए जाने की मांग रखी। प्रमुख मांगें इस प्रकार रहीं —

1. अवकाश सुविधा: शिक्षकों ने कहा कि एक कैलेंडर वर्ष में कम से कम 31 उपार्जित व अर्द्ध आकस्मिक अवकाश की सुविधा प्रदान की जाए।

2. स्थानांतरण और तैनाती: शिक्षकों को उनके आवास के निकट विद्यालयों में तैनाती का विकल्प दिया जाए ताकि उन्हें आने-जाने में सुविधा हो।

3. गृह जनपद में समायोजन: जो शिक्षक अन्य जिलों में कार्यरत हैं, उन्हें अपने गृह जनपद में समायोजन की सुविधा दी जाए।

4. वेतनमान समानता: शिक्षकों ने यह भी मांग की कि माध्यमिक शिक्षकों की भांति बेसिक शिक्षकों को भी प्रोन्नत वेतनमान (promotional pay scale) की सुविधा मिले।

5. गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति: सभी शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों (जैसे सर्वे, चुनाव या अन्य प्रशासनिक कार्य) से शत-प्रतिशत मुक्त किया जाए, ताकि वे केवल शिक्षण कार्य पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

बैठक में उपस्थित शिक्षकों के प्रतिनिधि — डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा, विनय तिवारी, शिव शंकर सिंह, योगेश त्यागी, अपूर्व दीक्षित, अरूणेन्द्र वर्मा, सुलोचना मौर्य और सीमा यादव — ने शिक्षकों की चिंताओं और सुझावों को विस्तार से रखा।

बताया गया कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में बेसिक शिक्षा विभाग यह ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली लागू करने जा रहा है। इस प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यवहारिक बनाने के लिए अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 16 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जिसमें आठ शिक्षक प्रतिनिधि भी शामिल हैं।

शिक्षकों ने कहा कि यदि उनकी प्रमुख मांगों पर विचार कर इन्हें लागू किया जाए, तो वे इस व्यवस्था का स्वागत करेंगे। उनका मानना है कि शिक्षकों की सहमति और सुविधाओं को ध्यान में रखकर ही नई व्यवस्था सफलतापूर्वक लागू की जा सकती है।

> कुल मिलाकर, यह बैठक शिक्षकों और प्रशासन के बीच संवाद और सहयोग का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई, जिससे आने वाले समय में उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में उपस्थिति व्यवस्था और अधिक पारदर्शी व प्रभावी बन सकेगी।

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