साहित्य
संगीतमयी है सृष्टि समस्त कण-कण में इसके संगीत…

संगीत दिवस पर विशेष
संगीतमयी है सृष्टि समस्त
कण-कण में इसके संगीत…
प्रथम शब्द ओम से लेकर
प्रतिक्षण विसरित है संगीत…
बारिश की बूंदों..
बादलों की गड़गड़ाहट
पंछियों के कलरव तो
पत्तों की सरसराहट में..
समाहित सभी मे…
मधुर संगीत…
नदिया की कल-कल “औ”
झरनो की घरघराहट में
रात की खामोशी या
भोर की चहचहाहट में
हँसता है छिपकर…
सरस …संगीत…
दुख की आशंका में
खुशियों की आहट मे..
विरह की आह में
मिलन की मुस्कुराहट में
घुला हुआ है…
सजल.. संगीत…
नवजात का क्रंदन हो
शिशु की खिलखिलाहट
रात की खामोशी या
सुबह की चहचहाहट मे
प्रवाहित सभी मे..
अविरल …संगीत..
कुछ भी नहीं है
संगीत विहीन
प्राणि मात्र के
धड़कन मे …
श्वास में… प्रश्वास में ..
जीवित है …
क्षण-क्षण संगीत…
सोनिया सिंह