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32 साल से भाजपा का अभेद किला है मेरठ कैंट

1989 तक कांग्रेस का रहा दबदबा, बसपा और सपा को जीत की तलाश
चार बार सत्यप्रकाश अग्रवाल और दो बार अमित अग्रवाल रहें हैं विधायक


लियाकत मंसूरी
मेरठ। कैंट विधानसभा देश की सबसे बड़ी सैन्य छावनियों में से एक है, यहां पर प्राचीन काली पलटन मंदिर और बिल्वेश्वर नाथ मंदिर है। बताया जाता है कि काली पलटन मंदिर से ही 1857 की क्रांति की शुरूआत हुई थी। कैंट सीट के लिए सभी दलों ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। भाजपा ने पूर्व विधायक अमित अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है। अमित अग्रवाल इसी सीट पर दो बार विधायक रह चुके हैं। लगातार चार बार विधायक रहें सत्यप्रकाश अग्रवाल की आयु 80 वर्ष से अधिक होने के कारण अमित अग्रवाल को फिर से पार्टी ने टिकट दिया है। बसपा से अमित शर्मा, कांग्रेस से अवनीश काजला, गठबंधन ने पूर्व विधायक चंद्रवीर सिंह की पुत्री मनीषा अहलावत को प्रत्याशी बनाया है। आम आदमी पार्टी से मदन सिंह मान मैदान में हैं।
कैंट विधानसभा भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है। 1957 में हुए चुनाव से लेकर 1989 तक कांग्रेस पार्टी का दबदबा था। 1989 में पहली बार यह सीट भाजपा के पाले में आई थी, यहां भाजपा प्रत्याशी परमात्मा शरण मित्तल ने तत्कालीन कांग्रेस विधायक अजीत सेठी को बड़े अंतर से चुनाव हराया था, इसके बाद ही यह सीट आज तक भाजपा के ही पास है। 1989 में इस सीट से विधायक चुने गए भाजपा के परमात्मा शरण मित्तल का आकस्मिक निधन होने के कारण यह सीट खाली हो गई थी, जिसके बाद इस पर उपचुनाव कराए गए और भाजपा की तरफ से उनकी पत्नी शशि मित्तल चुनावी मैदान में आईं। चुनाव जीतकर विधायक भी बन गईं। इस सीट से 1993 और 1996 में भाजपा के अमित अग्रवाल जीतकर विधायक बने थे। इसके बाद 2002 से लगातार चार चुनावों में भाजपा के ही सत्य प्रकाश अग्रवाल इस सीट पर विधायक के रुप में काबिज हैं। गौरतलब है कि 2007 के विधानसभा चुनाव में दो बार के पूर्व विधायक रहे अमित अग्रवाल इस सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला था, जिसके बाद उन्होंने पार्टी से बगावत कर समाजवादी पार्टी का दामन थामा और सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन इसका असर भाजपा विधायक सत्य प्रकाश अग्रवाल पर बहुत ज्यादा नहीं पड़ा। 1989 के पहले यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी, इस सीट से कांग्रेस ने 7 बार जीत दर्ज की थी।
2017 विधानसभा चुनाव के आंकड़े
2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से पिछले तीन चुनावों में जीत दर्ज करते आ रहे भाजपा के सत्य प्रकाश अग्रवाल ही चौथी बार विधायक बने। उन्होंने इस बार बसपा के सतेंद्र सोलंकी को चुनाव हराया। इस चुनाव में भाजपा के सत्य प्रकाश अग्रवाल को 132518 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे बसपा के सोलंकी को 55899 वोट मिले थे, तीसरे नंबर पर कांग्रेस के रमेश धींगरा थे, जिन्हें 39650 वोट मिले थे, जबकि रालोद के संजीव धामा 3851 वोटों के साथ चौथे नंबर पर थे।
2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टियों का वोट शेयर
2017 के विधानसभा चुनाव में स्थित पर भारतीय जनता पार्टी का वोट शेयर 55.94 प्रतिशत था, वहीं दूसरे नंबर पर रही बसपा का वोट शेयर 23.6 प्रतिशत था, जबकि तीसरे नंबर पर रही कांग्रेस का वोट शेयर 16.74 प्रतिशत था और रालोद का वोट शेयर मात्र 1.63 प्रतिशत था। कैंट विधानसभा क्षेत्र में कुल 420419 मतदाता हैं, इनमें 226401 पुरुष मतदाता हैं, जबकि 193968 महिला मतदाता शामिल हैं।
भाजपा और बसपा के बीच होगा सीधा मुकाबला
इस सीट पर सीधा मुकाबला भाजपा और बसपा के बीच होगा। कैंट में चार लाख 27 हजार मतदाता है। यहां वैश्य (55 हजार), पंजाबी (55 हजार), दलित (60 हजार), मुस्लिम (45 हजार), ब्राहमण (35 हजार), जाट (45 हजार) वोटर्स है। भाजपा से अमित अग्रवाल और बसपा से अमित शर्मा के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। गठबंधन से मनीषा अहलावत और कांग्रेस के उम्मीदवार अवनीश काजला दोनों बाहरी प्रत्याशी होने के कारण अंदरूनी इनका विरोध पार्टी के ही लोग कर रहे हैं, जिसका नुकसान दोनों को होगा।

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