कर्मचारी अपना काम छोड़ स्वच्छता सर्वेक्षण फीडबैक दर्ज करने में जुटे

1- स्वच्छ भारत मिशन में करोड़ों खर्च होने के बाद भी कस्बे के लोग योजना से अनजान।
2- कस्बावासी स्वच्छता एप पर नहीं दे रहे फीडबैक।
3-फीडबैक दर्ज करने के लिए 30 अप्रैल है अन्तिम तारीख।
4-लोगों के स्थान पर नगर पंचायत कर्मचारी खुद दे रहे हैं फीडबैक।
5- बोर्ड सभासदो ने बिना जानकारी दिये करोड़ों की धनराशि खर्च करने का लगाया था आरोप।
(शाहवेज खान)
नगर पंचायत जलालाबाद के कर्मचारी कस्बे में लोगों को स्वच्छ भारत मिशन के बारे में जागरूक करने के बजाय खुद ही लोगों से उनका मोबाइल नम्बर इस्तेमाल करके स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में उनका फीडबैक अपनी मर्जी से दर्ज कर रहे हैं।अधिकतर नगरवासियों को स्वच्छता सर्वेक्षण मे फीडबैक दर्ज करने के बारे में जानकारी ही नहीं है नगर पंचायत कर्मचारी लोगों के नम्बर पर अपने मोबाइल से ओटीपी भेजकर खुद ही फीडबैक दर्ज कर रहे हैं जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत का सपना साकार होने से पहले ही टूटता हुआ दिखाई पड़ रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार नगर पंचायत जलालाबाद को स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत करोड़ों रुपए की धनराशि प्राप्त हुई थी।जिसमें नगर पंचायत के सभासदों ने आरोप लगाया था कि स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत करोड़ों की इस धनराशि को कहां और कैसे खर्च किया गया इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई।बोर्ड सभासदों को जानकारी दिए बिना नगर पंचायत द्वारा खर्च की गई करोड़ों की धनराशि का प्रकरण समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद भी जिला प्रशासन ने इस तरफ से अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया है।स्वच्छ भारत मिशन में करोड़ों खर्च होने के बाद भी आज तक कस्बे के अधिकतर लोगों को इस योजना की कोई खास जानकारी नजर नहीं आती है क्योंकि वर्तमान में कस्बे का स्वच्छता सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और 30 अप्रैल 2022 तक कस्बे की आबादी के 5 प्रतिशत लोगों का स्वच्छता ऐप के माध्यम से फीडबैक दर्ज किया जाना है जिसमें नागरिकों को कुछ सवालों का जवाब देकर कस्बे की सफाई व्यवस्था के बारे में फीडबैक देना है।लेकिन नगर पंचायत द्वारा लोगों को इस बारे में जानकारी ना दिए जाने के चलते 5 प्रतिशत फीडबैक दर्ज नहीं हो पा रहे थे।नगर पंचायत ने अपनी इस कमी को छुपाने के लिए समस्या का समाधान ढूंढ निकाला है।नगर पंचायत ने अपने कर्मचारियों को लोगों के अधिक से अधिक फीडबैक स्वच्छता एप पर दर्ज करने का निर्देश दिया है।इसके लिए नगर पंचायत कर्मचारी अपना मोबाइल लेकर सवेरे ही कार्यालय से निकल जाते हैं और पूरे दिन लोगों को फीडबैक देने के लिए जागरूक करने के बजाय खुद ही उनके मोबाइल नम्बर पर ओटीपी भेज कर नागरिकों का फीडबैक उनसे राय लिए बिना अपनी मर्जी से अपने मोबाइल से दर्ज कर रहे हैं।ऐसी स्थिति में कस्बे के लोगों के मन में तरह तरह के सवाल उठने शुरू हो गये है कि किस कार्य में ओटीपी भेज कर फीडबैक दर्ज किया जा रहा है कहीं ऐसा न हो कि नगर पंचायत कर्मचारियों के बजाय कोई शातिर ठग फीडबैक दर्ज करने के स्थान पर उनके बैंक खाते से पैसे ही गायब कर दे।क्योंकि भोले भाले लोगों को शातिर ठगों द्वारा इस तरह ठगने के किस्से आये दिन सुनने को मिलते रहते है।