साहित्य
जल ही जीवन का आधार….

जल संरक्षण करें सभी मिल
जल ही जीवन का आधार ।
मचा हुआ है जल की खातिर
आज धरा पर हाहाकार ।।1।।
सूख रहे हैं ताल तलैया
सूख रही नदियों की धार ।
रीत गया है कुए का पानी
कैसे होगा अब उद्धार।।2।।
एक तरफ बढ़ती जनसंख्या
गांवों का होता विस्तार।
दर -दर प्यास बुझाने भटके
गाय,बैल पर पड़ती मार।।3।।
व्यर्थ पानी न बहने पाए
करो यतन इसमें है सार।
हरे-भरे हों उपवन सारे
स्वच्छ वायु हो सब में प्यार।।4।।
सरल सरस बहती “सरिता” हो
धन धान्य हो अपरंपार।
फैले प्रेम परस्पर जग में
न्याय नीति से बेडा पार ।। 5।।
सरिता जैन,
मुरैना