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आगे तीतर.. पीछे तीतर, बोलो:- कितने तीतर

ट्विटर की चिड़िया इन दिनों मुश्किल में चल रही है। टेस्ला के सीईओ एनल मस्क इसे खरीदेंगे या नहीं यह सवाल खड़ा हो गया है। ट्विटर कहता है कि उसके यहां फर्जी अकाउंट पांच प्रतिशत हैं, जबकि मस्क को संदेह है कि ऐसे अकाउंट्स यानी बॉट्स की संख्या 90 प्रतिशत तक हो सकती है। वह कहते हैं कि बॉट्स की संख्या 20 प्रतिशत तो पक्का है और वे इससे कहीं ज्यादा भी हो सकते हैं। मस्क को फर्जी अकाउंट बिल्कुल नहीं चाहिए। इस नाते ट्विटर की उनकी 44 अरब डॉलर की डील अधर में अटक गई है। फर्जी अकाउंट्स का इस्तेमाल राजनीतिक और धोखाधड़ी की गतिविधियों को मनमाफिक रफ्तार देने में किया जाता है। ऐसे अकाउंट समाज में अस्थिरता फैलाते हैं। मस्क चाहते हैं कि ट्विटर के फर्जी अकाउंट्स की अच्छे से जांच कराई जाए और उन्हें हटाया जाए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में उन्होंने ट्विटर की डील से पीछे हटने का मन बना लिया है।

अगर बॉट्स की जांच कराने के बाद उन सबको हटाया गया तो ट्विटर के यूजर्स की संख्या धड़ाम से नीचे आ जाएगी। सोशल मीडिया कंपनियों की आय उनके यूजर्स की संख्या के आधार पर ही होती है। ट्विटर की चिड़िया से वो गाना याद आ रहा है- तीतर के दो आगे तीतर, तीतर के दो पीछे तीतर, बोलो कितने तीतर? दुविधा इलेक्ट्रिक वेहिकल्स की इंडस्ट्री में भी बहुत है। पर्यावरण को बचाने की जद्दोजहद में सरकार ने इलेक्ट्रिक वेहिकल्स (ईवी) को बढ़ावा देने की मुहिम छेड़ी। देश में अनेक स्थानों और राजमार्गों पर बैटरी बदलने और चार्ज करने के स्टेशन बनाने की दिशा में काम तेज किया। लेकिन पिछले दिनों बैटरी से चलने वाले दोपहिया वाहनों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती गईं। ये घटनाएं ईवी निर्माताओं पर भारी पड़ गई हैं। एक के बाद एक बैटरियों में आग लगने के बाद सरकार सख्त हो गई और हिदायत दी कि क्वालिटी सुधारो। अभी तक चीन से प्राप्त बैटरियों का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा था, जो ठंड के हिसाब से बनी थीं। भारत की गर्मी उन्हें रास नहीं आ रही थी, इसलिए गर्म होकर उनमें विस्फोट होने लगा।

इलेक्ट्रिक टूव्हीलर बनाने वाली कंपनियों को अब गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अधिक पैसा खर्च करना होगा, साथ ही बैटरियों की तकनीक भी बेहतर करनी होगी। दूसरी ओर, यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे माल की सप्लाई पहले ही बाधित हो रही है। फलस्वरूप ईवी की कीमत बढ़ना तय है। पर्यावरण की रक्षा के लिए पहाड़ी स्थानों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) कई तरह की सख्ती बरत रहा है। एनजीटी के आदेशानुसार, रोहतांग पास पर घूमने जाने के लिए प्रतिदिन सिर्फ 1200 वाहनों को परमिट दिए जा सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में मनाली के पास स्थित इस ऊंचे दर्रे पर वाहनों की वजह से प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ने लगा था, तब ट्रिब्यूनल को इस तरह की पाबंदी लगानी पड़ी। मैदानी इलाकों में गर्मी बढ़ने पर लोग मनाली, रोहतांग और अटल टनल की तरफ रुख करते हैं। रोहतांग के परमिट के लिए एडवांस बुकिंग चल रही है। रोहतांग जाने के लिए प्रशासन की ओर से इलेक्ट्रिक बसें चलाई जा रही हैं, क्योंकि डीजल चालित वाहनों से प्रदूषण होता है जो हिमालय की नाजुक इकोलॉजी को नुकसान पहुंचाता है।

नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं।

टि्वटर @NarvijayYadav

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