साहित्य

नदलेस ने की कहानी एवं काव्य पाठ गोष्ठी, 2 चरणों में हुआ आयोजन

दिल्ली। नव दलित लेखक संघ की मासिक गोष्ठी का आयोजन पालम, नई दिल्ली में स्थित अंबेडकर भवन में हुआ। जिसका संयोजन डा. अमिता मेहरोलिया ने किया। गोष्ठी की अध्यक्षता पुष्पा विवेक ने की और संचालन डा. अमित धर्मसिंह ने किया। गोष्ठी के आरंभ में डा. अमिता मेहरोलिया को डी.सी.ए.सी (दिल्ली विश्वविद्यालय) में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की बधाई दी गई। गोष्ठी की अध्यक्ष पुष्पा विवेक ने डा. अमिता को माल्यार्पण कर सम्मानित किया। अमिता जी के पिता कृष्णपाल जी का सम्मान दीपक कुमार द्वारा माल्यार्पण कर किया गया। सतीश खनगवाल को डा. अमित धर्मसिंह ने नदलेस की आजीवन सदस्यता का पत्र सौंपते हुए नदलेस का पैन भेंटस्वरूप दिया।
गोष्ठी परिचर्चा एवं काव्य पाठ दो चरणों में सम्पन्न हुई। प्रथम चरण में कहानीकार सतीश खनगवाल द्वारा कहानी वाचन किया गया, जिसका शीर्षक “सपनो का घर” था। यह कहानी उस व्यक्ति के सपनो का घर खरीदने के इर्दगिर्द घूमती है जो एक आदिवासी समाज में पैदा हुआ और जीवन की कई कठिनाई पूर्ण परिस्थितियों के बावजूद अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सरकारी नौकरी पाई, लेकिन ब्राह्मणवादी व्यवस्था, उसके सपनो का घर खरीदे जाने के मार्ग में जातिवाद की दीवार खड़ी कर दी जाती है और अपने कॉलोनी में कहानी के पत्र संजय सिंह को उसका सपनों का घर खरीदने नहीं देती है।
कहानी परिचर्चा में उपस्थित रचनाकारों ने सारगर्भित टिप्पणियां प्रस्तुत की। डॉ. गीता कृष्णागी के अनुसार, कहानी, विरोध प्रस्तुत करती है “संजय सिंह, शुक्ला जी के घर पर ईंट मारकर गुस्से से अपना विरोध प्रस्तुत करता है, लेकिन शुक्ला के घर पर ईंट मरना गैर वाजिब था। विरोध का कोई और तरीका भी तलाश किया जा सकता है।” महिपाल ने कहा, “सतीश खनगवाल जी की कहानी, कहानी के सम्पूर्ण तत्त्वों को लेकर चली साथ ही इस कहानी के विषय के माध्यम से जो समस्या उठायी है समकालीन परिप्रेक्ष्य की ही है।” डा. अमित धर्मसिंह ने कहा के कहानी में मार्क्सवाद और अम्बेडकारवाद के भेद की स्पष्ट रेखा खींची गई है। इसीलिए भारत जैसे देश में मार्क्सवाद से पहले अम्बेडकारवाद की ज्यादा ज़रूरत है भले ही वैश्विक स्तर पर मार्क्सवाद की ज़रूरत अधिक हो।”
गोष्ठी के दूसरे चरण में सोमी सैन, महिपाल, सतीश खनगवाल, अमित धर्मसिंह और पुष्पा विवेक ने उम्दा काव्यपाठ किया। सोमी सेन की कविता का शीर्षक “उम्मीद”, महिपाल की कविता का शीर्षक “जाति की फसल, अमिता मेहरोलिया की कविता का शीर्षक ‘औरत क्या चाहती है’, अमित धर्मसिंह की कविता का शीर्षक “पीठ पर घर” और पुष्पा विवेक के कविता का शीर्षक “जूनून” और “जाति” रहे। गोष्ठी में उपस्थित रचनाकारों में कृष्णपाल, डा. गीता कृष्णांगी, बृजपाल सहज, जावेद आलम खान, दीपक कुमार, पूर्णमल सिंह, कुलदीप, रीता मेहरोलिया, सौरभ यादव और बंशीधर नाहरवार आदि गणमान्य रचनाकार उपस्थित रहे।

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