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कथा या उपन्यास से ज्यादा कठिन है आत्मकथा लिखना : आरिफ नकवी

एक अच्छे आत्मकथाकार का गद्य भी अर्ध-कथात्मक होता है। : प्रो. वहाजुद्दीन अल्वी
उर्दू विभाग में साहित्य के अंतर्गत “उर्दू आत्मकथा” विषय पर ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया


मेरठ।
“आत्मकथाकारों के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन जो नए लेखक सामने आए हैं और उन्होंने आत्मकथाएँ लिखी हैं। उनको भी सामने आना चाहिए। हमें भी आत्मकथा को व्यापक करना चाहिए। जब ​​हमारे सोचने का तरीका व्यापक होगा, तो हमारी मानसिकता भी बढ़ेगी। ये थे उर्दू विभाग और आयुसा के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित साप्ताहिक साहित्यिक कार्यक्रम ‘अदबनुमा’ में जर्मनी के जाने-माने लेखक और कवि आरिफ नकवी के शब्द, जो “उर्दू आत्मकथा” विषय पर अपने अध्यक्षीय भाषण के दौरान कह रहे थे। उन्होंने कहा कि वैश्विक पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो हमारी आत्मकथा का दायरा भी बढ़ जाता है। एक गैर-कल्पना या उपन्यास की तुलना में आत्मकथा लिखना अधिक कठिन है।
कार्यक्रम की शुरुआत सईद अहमद सहारनपुरी ने पवित्र कुरान की तिलावत से की।हादिया नात की प्रस्तुति एमए द्वितीय वर्ष की छात्रा उज्मा ने की।

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