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पंडित जवाहरलाल नेहरू.. एक शानदार व्यक्तित्व

14 नवम्बर… बाल दिवस पर विशेष :-

(डॉ. रश्मि जहां)

किसी राष्ट्र को ऐसा सौभाग्य बार-बार नहीं मिलता कि उसका नेतृत्व एक ऐसे ओजस्वी व्यक्तित्व के हाथ में हो, नेहरू के व्यक्तित्व में व्यावहारिकता और आदर्शवादिता दोनों गुणों का समन्वय था । जो की एक दुर्लभ गुण है। नेहरू के विचारों में पश्चिमी सभ्यता व आधुनिकता का समावेश था। हमारे देश भारत में बाल दिवस पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। देश के पहले प्रधानमंत्री का मानना था, कि देश के भविष्य की सफलता और समृद्धि बच्चों की समृद्धि पर निर्भर करती है। उनका मानना था, कि कोई राष्ट्र तब तक पूरी तरह विकसित नहीं हो सकता अगर उसके बच्चे अवकसित वंचित और कमजोर हो। नेहरू जी बच्चों से विशेष स्नेह रखते थे तथा उनको देश का भविष्य मानते थे इसलिए उनके जन्मदिन को देश में बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। कहते हैं 1938 के आसपास एक रैली में एक बच्ची ने उन्हें गुलाब का फूल दिया था। ऐसा कहा जाता है कि जवाहरलाल नेहरू बच्चों की तुलना हमेशा गुलाब के फूल से करते थे। वो कहते थे, कि बच्चे बाग की कलियों के जैसे होते हैं, उन्हें प्यार, स्नेह से बड़ा करना पड़ता है क्योंकि वो ही देश का भविष्य है। और उन्हें बच्चे भी प्यार से चाचा नेहरू कहते थे उन्हें चाचा नेहरू कहे जाने से जुड़ी कई बातें कही जाती हैं। इनमें से एक के अनुसार बच्चों की प्रति दोस्ताना रवैया रखने के कारण बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहते थे। ऐसा भी माना जाता है कि महात्मा गांधी के निकट होने के कारण उनको चाचा की संज्ञा मिली क्योंकि यह महात्मा गांधी के लिए छोटे भाई जैसे थे। पंडित नेहरू बच्चों को किसी देश की वास्तविक शक्ति और समाज की बुनियाद मानते थे। नेहरू ने कहा था, आज के बच्चे भावी भारत का निर्माण करेंगे।हम जिस तरह से उनका पालन पोषण करेंगे, उसी पर देश का भविष्य निर्भर होगा। जब एक पत्रकार ने नेहरू जी से पूछा कि आखिर आप गुलाब के फूल को क्यों लगाते हैं। तब नेहरू जी ने जवाब दिया कि लाल गुलाब चंचलता का सूचक है। गंभीर मामलों पर हल्की चीज भी याद करना जरूरी है।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। उनके माता जी का नाम स्वरूप रानी नेहरू और पिताजी का नाम मोतीलाल नेहरू था। पंडित मोतीलाल पेशे से बैरिस्टर थे। वही पंडित नेहरू की पत्नी का नाम कमला नेहरू था। नेहरू जी धनी संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते थे। साथ ही नेहरू जी तीन बहनों के अकेले भाई थे इसके चलते नेहरू जी की परवरिश में कभी कोई कमी नहीं आई। उन्होने प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद में प्राप्त की। वहीं उच्च शिक्षा इंग्लैंड में पूरी की। लंदन से उन्होंने लाॅ की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान नेहरू जी ने समाजवादी की जानकारी भी इकट्ठा की। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद नेहरू जी साल 1912 में स्वदेश वापस लौट आए और स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 1917 में होम रूल लीग से जुड़े और देश की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाई। वही साल 1919 में नेहरू की पहली बार गांधी जी के संपर्क आए। यहां से नेहरू जी की राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई इसके बाद गांधी जी के साथ मिलकर नेहरू जी ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया। नेहरू की आजादी की लड़ाई के दौरान 9 बार जेल गए उन्होंने अपने जीवन के 3259 दिन करीब 9 साल जेल में गुजरे। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए बड़ा संघर्ष किया और 1947 में देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली ।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की । भारत की आजादी के बाद इसी तरह आई. आई. टी., आई. आई. एम. और एम्स की स्थापना की गई। नेहरू द्वारा पुन:र्जीवित भारत का नया मंदिर के रूप में वर्णित यह बांध पूरे भारत से पर्यटकों की आकर्षित करता है। भाखड़ा बांध पंजाब के नांगल शहर से 15 किमी और बिलासपुर से 106 किमी दूर है। 15 अगस्त 1969 में स्थापित इसरो इसके पहले अध्यक्ष विक्रम साराभाई से विज्ञान की एक नई युग की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा की गई थी जो आज चंद्रयान 3 के रूप में दुनिया को भारत के विज्ञान की पहचान करने का गौरव दिलाने में सफल रहा है। उन्होंने योजना आयोग का गठन किया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया और तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरू हुआ। नेहरू जी ने कई कल्याणकारी कार्य भी किया। जब नेहरू महाराष्ट्र की जेल में कैद थे। तो उन्होंने अपनी पुस्तक ‘ द डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया ‘में लिखा था , भारत की अनेकता में एकता के विभिन्न पहलुओं का भारत संप्रभुता के अधिकार वाला एक राष्ट्र है। उन्होंने लंबे समय तक देश की सेवा की विश्व पटल पर भी नेहरू जी को प्रखर नेता कहा जाता था। पंडित नेहरू का योगदान भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाने से लेकर आजाद भारत के विकास के सभी पहलुओं में रहा है। उनको आधुनिक भारत का वास्तुकार भी कहा जाता था।

Writter

डॉ. रश्मि जहां

असिस्टेंट प्रोफेसर
department of education
Shri Dronacharya PG College Dankaur Greater Noida
में कार्यरत हैं।

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