साहित्य
यू तेरा रूठना अच्छा नही लगता…

ग़ज़ल
यू तेरा रूठना अच्छा नही लगता
मनाने में समय कितना नही लगता
कि पागल बन के पत्थर खाये जिसने वो
भी पागल फिर मिरे जितना नही लगता
अभी होठो पे प्यास रह गइ थोड़ी सी
कही नज़दीक को दरिया नही लगता
मकां दिल का अगर ख़ाली कही रहता
तो रख़ लेते वहां भाड़ा नही लगता
कि तू तो फ़िर भी शायद रह ले मेरे बिन
मगर बिन तेरे ज़ी मेरा नही लगता
-निहाल सिंह
झुंझुंनू, राज.