दम तोड़ रही यूनानी चिकित्सा, सरकारी अस्पताल बने खंडहर

True story
बागपत। वेस्ट यूपी में यूनानी चिकित्सा पद्वति दम तोड़ रही है। एक समय में इस चिकित्सा पद्वति के सामने सभी पद्वतियां फीकी थी, लेकिन बदलते समय के साथ-साथ अब यूनानी के चाहने वालों की संख्या कम हुई, तो सरकारी यूनानी अस्पताल भी अब सफेद हाथी बनकर रह गए हैं। बात यदि बागपत की हो तो यहां के यूनानी हॉस्पिटल दम तोड़ चुके हैं।
जनपद बागपत के कई यूनानी हॉस्पिटल खंडहर बन चुके हैं। आजादी के बाद भी यूनानी चिकित्सा के लिए बागपत मशहूर थे। दूसरे जनपदों से भी यहां लोग ईलाज के लिए पहुंचते थे, यहां तक कि मुगल बादशाह अकबर भी इलाज़ के लिए अपने हकीम के पास मुजफ्फरनगर के बघरा आते थे। लेकिन अब समय बदल गया, जो कर्मचारी या चिकित्सक रिटायर्ड हो गया, उसके स्थान पर नए कर्मचारी की कोई भर्ती नहीं हुई। बागपत के मुस्लिम बाहुल्य गांव असारा में अंग्रेजी जमाने में विशाल भवन में शुरू हुआ यूनानी अस्पताल आज अपनी उपेक्षा पर आंसू बहा रहा है। 20 साल तक भी यहां किसी डॉक्टर की तैनाती नहीं हो पाई। कई साल तक अस्पताल बंद रहा। ताला ने खुलने और साफ-सफाई न होने की वजह से यह खंडहर में तब्दील हो गया।
ग्राम प्रधान
नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान नदीम अहमद बताते हैं कि यह खंडहर बिल्डिंग एक बीघा में फैली हुई है। इस बिल्डिंग के गिरने का खतरा है, जो कभी भी जमींदोज हो सकती है। ग्राम प्रधान नदीम अहमद बताते हैं कि पूरी दुनिया में तूफान ने तबाही मचाई हुई है, ऐसे में यह बिल्डिंग गिरी तो आसपास के काफी लोग इसकी चपेट में आकर काल का ग्रास बन सकते हैं।
ग्राम पंचायत असारा के मूल निवासी व उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन के कॉर्डिनेटर तहसीन अली कहते है कि यूनानी पद्धति को पूरे विश्व मे उपचार के लिये मान्यता है, इस पद्धति के तहत उपचार से मरीज बहुतायत संख्या में ठीक होते है। ऐसी पद्धति के साथ सौतेला व्यवहार ठीक नही है। उनका कहना है कि यूनानी अस्पतालों के उत्थान के लिए सरकार को प्रयास करने चाहिए।
आल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस से जुड़े हकीम अता उर्रहमान अजमली का कहना है कि असारा गाँव मे यूनानी अस्पताल ऐतिहासिक है इसका जीर्णोद्धार किया जाए। इसके लिए उनका संगठन प्रयास करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर यूनानी अस्पतालों की दुर्दशा के बारे में अवगत कराया जाएगा। उनकी टीम ने दिल्ली से बागपत पहुंचकर जायजा लिया है।