अपना मुज़फ्फरनगर

घाटे का सौदा साबित हो रहा निजी बसों का संचालन, नही मिल रही सवारियां तो कैसे चले परिवार

आर्थिक संकट से जूझ रही प्राईवेट बस सेवा को मदद की दरकार

कोरोना काल में आर्थिक संकट से दोचार प्राईवेट बस सेवा, अब बंदी की कगार पर

(काज़ी अमजद अली)
मुज़फ्फरनगर।कोरोना महामारी की मार अनेक क्षेत्रों पर पडी है। कुछ मौकापरस्तों ने भले ही इस परीक्षा की घड़ी में बडा लाभ लिया हो लेकिन अधिकतर की कमर टूट गयी है। शहर और गांव के बीच की लाईफलाईन माने जाने वाली प्राईवेट बस सेवा भी कोरोना काल में बेहद प्रभावित हुई है। लॉकडाउन में बन्द रही बसों में आज भी यात्रियों की कमी है। इक्का दुक्का सवारी मिलने के कारण प्राईवेट बसें आर्थिक तंगी से दोचार है। बस संचालकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है।

मजदूर का चूल्हा तभी जलता है, जब हाथ में पैसा होता है। कोरोना काल में बन्द हुवे रोज़गार ने आम आदमी के परिवार पर सीधा प्रभाव डाला है । लॉक डाउन के बाद धीरे- धीरे पटरी पर लौट रही व्यवस्था को अगर सहारा मिल जाये तो शीघ्र हालात बदल सकते हैं । प्राईवेट बस सेवा के अक्सर बंद रहने तथा कभी कभार चलने से बस के स्टाफ भी पैसे की तंगी से दोचार हैं। चालक, परिचालक, हैल्पर बस की बराबर में खडे होकर यात्रियों की बांट जोह रहे हैं। बस में बैठी चन्द सवारियों को बस के चलने का इंतजार है। काफी देर की प्रतीक्षा के बाद दर्जन भर यात्रियों को गणतव्य तक पहुंचाने को मजबूर हैं, जबकि बस का खर्च ज्यों का त्यों है। डीजल के बढते दाम कोढ में खाज का काम कर रहे हैं। बस संचालकों के अनुसार हालात यही रहे तो बस सेवा को बंद करना पडेगा। दूसरी ओर बस से जुडे स्टाफ के सामने आजीविका का संकट गहरा गया है। मुजफ्फरनगर, भोपा, बिजनौर प्राईवेट बस यूनियन के सचिव प्रदीप सहरावत ने बताया कि इस रूट पर कुल 38 बसों का परमिट है। कोरोना काल में यात्रियों की कमी के कारण 50 प्रतिशत बसें किसी प्रकार सेवा दे पा रही हैं। घाटे मे चल रही बसों कब तक चलाया जा सकेगा। ये पता नही। 7500 रूपये प्रतिमाह एक बस का टैक्स देना पडता है। जबकि 64000 रूपये वार्षिक का बीमा है। सरकार दो वर्ष के लिए टैक्स माफ करे तथा बीमा का समय एक वर्ष के बजाए दो वर्ष किया जाए। टैक्स, बीमा राशि सहित चालक, परिचालक का वेतन डीजल व डीजल के बढते दाम घाटे को बढा रहे हैं। घाटा उठाकर बसों का किसी प्रकार संचालित किया जा रहा है।
ज़ाहिर है समय रहते अगर इस ओर अगर ध्यान न दिया गया तो इस क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों का रोज़गार प्रभावित होगा। मोरना में बस स्टेण्ड पर खड़ी प्राइवेट बस के परिचालक नक्कन मियाँ व चालक पप्पू ने बताया कि घाटा उठाकर मालिक बसों का संचालन कर रहे हैं। बस बन्द होने से डग्गामार वाहन मार्ग पर चल सकते हैं सरकार को हमारी तरफ भी ध्यान देना चाहिये ऐसी हालत में टेक्स व अन्य खर्च निकलना तो दूर डीज़ल का खर्च व स्टाफ की रोज़ी रोटी का जुगाड़ हो जाये तो बड़ी बात है।

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