साहित्य

नये साल की पार्टी तो हो ली, अब मास्क पहन लें…


अफ्रीका में मिले कोरोना के नये रूप ने हर तरफ खलबली मचा दी है। सरकार सतर्क है, मेडिकल स्टाफ चौकन्ना है और राज्य सरकारों को अलर्ट कर दिया गया है। नये नियम बन रहे हैं, पुरानों को फिर से लागू किया जा रहा है। चंडीगढ़ यूटी में आदेश हो गया है कि पब्लिक प्लेस पर कोई बगैर मास्क मिलेगा तो चालान कटेगा और टैस्ट भी करवाना पड़ सकता है। इधर शादियां जोरों पर हैं और लोग लापरवाह हो चुके हैं। तो फिर से मन खराब करने वाली खबरें आ सकती हैं। नये रूप ओमिक्रॉन को लेकर परस्पर विरोधाभासी बयान सुनने को मिल रहे हैं। चूंकि शोध जारी हैं और हालात का जायजा लिया जा रहा है, ऐसे में कुछ भी पक्के तौर पर कहना मुश्किल है। कोई चांस न लेते हुए केंद्र सरकार ने कोरोना को काबू में करने संबंधी निर्देश 31 दिसंबर तक बढ़ा दिये हैं। मतलब नये साल की पार्टी तो हो ली। यह होटलों के लिए चिंता की खबर है, तो देशवासियों के लिए भी एक बुरी खबर तो है ही।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने संसद में कहा कि ओमिक्रॉन का कोई भी केस अभी तक भारत में नहीं मिला है। इसका पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पता चला और यूके, जर्मनी, जापान व हांगकांग सहित एक दर्जन से अधिक देशों से इसे रिपोर्ट किया गया है। भारत ने महामारी के दौरान बहुत कुछ सीखा है और देश किसी भी स्थिति को संभालने में सक्षम है। कोरोना से निपटने के लिए केंद्र सरकार का 3टीवी मंत्र है – ‘टैस्ट, ट्रैक, ट्रीटमेंट और वेक्सीनेशन’। स्वास्थ्य मंत्रालय ने जिन देशों को ‘जोखिम’ वाली श्रेणी में रखा है, उनमें यूके, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, बांग्लादेश, बोत्सवाना, चीन, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, सिंगापुर, हांगकांग और इज़राइल प्रमुख हैं। जोखिम वाले देशों से भारत पहुंचने वाले हवाई यात्रियों का परीक्षण करने, क्वारेंटाइन करने और कोविड पॉजिटिव यात्रियों के अगल-बगल की सीटों पर बैठे यात्रियों की पहचान तथा एयर क्रू का भी परीक्षण व आइसोलेशन जैसे कदम 1 दिसंबर से उठाये जाने हैं। इसके लिए सभी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्‌डों को सतर्क कर दिया गया है और जरूरी प्रबंध किये जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि ओमिक्रॉन तेजी से फैलता है, लेकिन इसके लक्षण अलग होते हुए भी “बहुत हल्के” हैं। दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में लगभग 90 प्रतिशत संक्रमण ओमिक्रॉन स्ट्रेन के कारण पाये गये हैं, लेकिन मृत्यु दर और अस्पताल में भर्ती होने की दर में खास वृद्धि नहीं हुई है। ऐसे में कुछ विशेषज्ञ यह उम्मीद भी जता रहे हैं कि कहीं नये रूप में आया कोरोना मानवता की भलाई के लिए तो नहीं आया है। यानी कोरोना का नया रूप अगर दुनिया भर में डेल्टा वेरिएंट का स्थान ले लेता है, तो यह एक अच्छी खबर साबित हो सकती है। भारत में पहले अल्फा आया था, फिर बीटा, और उसके बाद डेल्टा, जो सबसे खतरनाक था और दूसरी लहर में भारी तबाही मचा कर गया। जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, और कोरोना का खतरा पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता, तब तक मास्क पहन कर रहना एक प्रभावी उपाय है। हाथों की स्वच्छता, मित्रों-परिचितों से दूर से नमस्ते और दो गज की दूरी बनाये रखने में ही भलाई है।

नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार हैं।

ईमेल: narvijayindia@gmail.com

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