दूसरों के वास्ते जो राह का कांटा बना, क्या हक़ीक़त में वो इसां रहनुमा हो जायेगा।

मुजफ्फरनगर। उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन व उर्दू टीचर्स वैलफेयर एसोसिएशन द्वारा ‘उर्दू घर‘ योगेंद्रपुरी में एक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें जिला बार संघ के चुनाव में अध्यक्ष पद पर शानदार जीत के लिए एडवोकेट वसी अंसारी का जोरदार स्वागत किया गया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वकीलों की सभी समस्याओं के समाधान के लिए वह बार संघ के माध्यम से निष्पक्ष होकर निष्ठा के साथ काम करेंगे। साथ ही राष्ट्रीय सेवा की जो जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है उसे भी निभाता रहूंगा। उन्होंने कहा कि आपकी दुआओं और प्यार की मेरे इस मक़ाम तक पहुंचने में बड़ी भूमिका है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि बार संघ उर्दू को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करेगी और जहां भी मेरी आवश्यकता होगी मैं हमेशा उपस्थित रहूंगा।
यूडीओ जिलाध्यक्ष कलीम त्यागी ने कहा कि वसी अंसारी एडवोकेट ने एक ईमानदार, मेहनती वकील और राजनीतिक नेता के रूप में अपना मक़ाम बनाया है। वह राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं और हमेशा राष्ट्र की सेवा के लिए प्रयासरत रहते हैं।
यूडीओ संरक्षक डॉ. शमीमुल-हसन ने कहा कि वसी अंसारी एक बहुत ही शरीफ और शिक्षित परिवार से संबंध रखते हैं और वो अपने पूर्वजों की विरासत को अच्छी तरह से संभाल रहे हैं। इंजीनियर असद पाशा ने कहा कि वह वसी अंसारी को बचपन से जानते हैं। बार काउंसिल में उनकी जीत एक सच्चे इंसान की जीत है और हम सभी के लिए खुशी का क्षण है।
शिक्षक नेता रईसउदीन राना ने भी वसी अंसारी को बधाई दी और उनकी तरक्की के लिए उनको दुआएं दी। साथ ही तहसीन अली असारवी, हाजी सलामत राही, शहजाद अली, मुहम्मद शोएब, अल्ताफ मशल, ओसाफ अहमद, शमीम कस्सार, बदरूज़्ज़मां खान, डॉ फर्रुख हसन, नदीम मलिक, मास्टर आबिद अली, मास्टर मुहम्मद यासीन, मुस्तफा कमाल पाशा, डॉ तनवीर गौहर और नवेद अंजुम मौजूद रहे।
इस अवसर पर एक मुशायरे का भी आयोजन किया गया। जिसमें शायरों ने बेहतरीन अशआर प्रस्तुत किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. शमीमुल हसन ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि उर्दू टीचर वेल्फेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मास्टर रईसुद्दीन राना रहे। कलीम त्यागी ने मुशायरे की शुरुआत की। महफ़िल का आगाज़ कारी शाहिद अरमान की नाते पाक से हुआ।
डाॅ. तनवीर गौहर ने यूं कहा –
अमावस में वो घर आए हुए हैं
मिरे कमरे में दिन निकला हुआ है।
नवेद अंजुम ने कुछ इस तरह बयान किया –
भूख को अपना मुक़द्दर मानकर मत बैठिए।
इक परिंदा दूर तक जाता है दाने के लिए।
मुस्तफ़ा कमाल पाशा ने इस अंदाज़ में कहा-
बच्चो! मिरा वजूद पसे मर्ग देखना।
रो रो के तुम से पूछेंगे अहले हुनर मुझे।
सलामत राही ने पढ़ा-
मिस्ले गुल टूट कर बेहाल तो होने से रहा।
मैं तो इक ख़ार हूँ पामाल तो होने से रहा।
शाहिद अरमान का अंदाज़े बयां कुछ ऐसे दिखा-
दूसरों के वास्ते जो राह का कांटा बना।
क्या हक़ीक़त में वो इसां रहनुमा हो जायेगा।
अल्ताफ़ मशल का कहना था –
कैंसर, डेंगू, कोरोना की खुराकें हैं मगर।
बस तास्सुब के मरज़ की अब दवा कुछ भी नहीं।।
तहसीन क़मर असारवी कुछ यूं गोया हुए-
फल फूल और तायर कितने हैं, गुलशन में मनाज़िर कितने हैं।इस दौर के नेता ऐ भाई, मत पूछ के शातिर कितने हैं।
इस अवसर पर तहसीन अली असारवी, हाजी सलामत राही, शहजाद अली, मुहम्मद शोएब, अल्ताफ मशल, ओसाफ अहमद, शमीम कस्सार, बदरूज़्ज़मां खान, डॉ फर्रुख हसन, नदीम मलिक, मास्टर आबिद अली, मास्टर मुहम्मद यासीन, मुस्तफा कमाल पाशा, डॉ तनवीर गौहर व नवेद अंजुम के कलाम सराहे गए।