आजकल कत्थक अपनी दिशा भटक रहा: डा. उमा शर्मा

सुभारती विश्वविद्यालय के परफार्मिग आर्टस विभाग में हुआ अतिथि व्याख्यान श्रृंखला का शुभारंभ
मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विवि के ललित कला संकाय के परफार्मिग आटर्स विभाग में भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के विभिन्न पहलुओं पर भारत के प्रख्यात विद्वानों की व्याख्यान श्रृखंला का शुभांरभ हुआ। अतिथि व्याख्यान श्रृंखला का आरंभ 10 मार्च तक रहेगा। इस श्रृंखला में विद्वान संगीत व नृत्य संबधी विषयों से छात्रों व शोधार्थियां को लाभांवित करेंगे। श्रृखला के प्रथम चरण की वक्ता पद्म भूषण विश्वविख्यात कथक नृत्यागना डा. उमा शर्मा रही। उन्होंने कथक में अभिनय पक्ष पर विशेष प्रकाश डाला।
डा. उमा शर्मा ने बताया, अभिनय कथक नृत्य का आधा हिस्सा है, अभिनय सर्वप्रथम आंखों से झलकता है। उन्होंने महाराज जी की ठुमरी, मेरी सुनो श्याम, छोड़ो अचरवा, गालिब की गजल आह पर भाव पक्ष को दशार्या व छात्रों को बताया कि कितनी तरह से एक शब्द पर कितने अभिनय प्रकट कर सकते हैं। उन्होंने कहा, युवा पीढ़ी को कत्थक को सही दिशा में ले जाना चाहिये, आजकल कत्थक अपनी दिशा भटक रहा है तथा अभिनय पक्ष गौढ़ होता जा रहा है। उन्होंने विशेष यह भी कहा कि कत्थक में गाकर, बैठकर भाव बताना बहुत आवश्यक है। इसी श्रृंखला क्रम में आने वाले प्रत्येक बृहस्पतिवार को देशभर से विशिष्ट व विद्वान कलाकार अपने विषय पर व्याख्यान देंगे। जिसमें प्रोफेसर राजेश केलकर, विदुषी शोवना नारायण, पंडित विजय शंकर मिश्र, डा. विधि नागर, प्रो. कुमकुम धर, डा. मधु रानी शुक्ला, प्रो. मुकेश गर्ग, प्रो. पूर्णिमा पांडेय एवं प्रो.साहित्य कुमार नाहर अपनी ज्ञान वर्षा से छात्रों व शोधार्थियों को लाभांवित करेंगे। आयोजन पर कुलपति डा. जीके थापलियाल एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. शल्या राज ने सभी अतिथियों का अभिवादन किया। विभागाध्यक्षा डा. भावना ग्रोवर को बधाई दी।
इन्होंने किया आभार प्रकट
विश्वविद्यालय के उपकुलपति डा. अभय शंकरगौड़ा ने भी प्राचार्य डा. पिन्टू मिश्रा व विभागाध्यक्षा व सभी अतिथियों का स्वागत किया। कहा कि यह श्रृंखला छात्रों के लिये बहुत आवश्यक है। ललित कला संकाय के प्राचार्य डा. पिन्टू मिश्रा ने भी विभागाध्यक्षा व विभाग के सभी सदस्यों को बधाई दी। इस श्रृंखला के शुभारम्भ की सराहना की एवं सभी अतिथियों को हृदय से स्वागत किया। अन्त में प्रो. डा. भावना ग्रोवर ने अतिथियों का आभार प्रकट किया।